• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

उधार का सम्मान, अपनों का अपमान

...सब कुछ खोती भाजपा

Writer D by Writer D
30/05/2021
in Main Slider, उत्तराखंड, ख़ास खबर, राजनीति, राष्ट्रीय, विचार
0
14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

– सियाराम पांडेय ‘शांत’

आत्ममुग्धता एवं आत्मश्लाघा की नूतन महामारी से पीडि़त भारतीय जनता पार्टी आत्मावलोकन और आत्म परिष्कार के उपचार से मुंह चुरा रही है। भाजपा के कुछ सैकड़ा नेताओं एवं कुछ हजार कार्यकर्ताओं के बीच संवादहीनता बढ़ रही है। उसके अधिसंख्य समर्थक दिन-ब-दिन निराश हो रहे हैं। उसका वोट बैंक लगातार दरक रहा है। भाजपा जातिवाद के जिस जहर से देश के लोक जीवन को मुक्त कराने की घोषणा करती थी, यदि कोई उसके कुछ नेताओं पर इस जाति-जहर के विस्तार में शामिल होने का आरोप जड़ दे, तो उसे निरुत्तर हो जाना पड़ेगा।

भाजपा अपनी पात्रता और विश्वसनीयता बहुत जल्दी गवां बैठी है, एक-दो अपवादों को छोड़कर, वहीं सब-कुछ सैद्धान्तिक निष्ठा का, चिन्तन का, चरित्र का क्षरण भी वहां दिखने लगा है। नतीजतन सत्ता के वे दलाल और अवसरवादी तत्व जो बेईमानी की कमाई पर अय्याशी कर रहे थे, हर राष्ट्रीय प्रश्न का विरोध कर रहे थे, भाजपा के संप्रति स्वाभाविक मित्र ही नहीं बन गये बल्कि सत्ता एवं संगठन पर भी महत्ता के साथ काबिज हो गए।

किशोरावस्था में अपने विद्यार्थी जीवन से ही हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं (संविधान की अष्टम अनुसूची में उल्लखित 22 भाषाएं जिनकी लिपि उपलब्ध है) के सम्मान एवं प्रतिष्ठा हेतु ‘हिन्दी से न्याय’ यह देशव्यापी अभियान चला रहे चन्द्रशेखर उपाध्याय के अनादर एवं उपेक्षा के नेपथ्य में भी यही कारक तत्व हैं। चन्द्रशेखर द्वारा भाजपा के दूसरे नम्बर के नेता को लिखे पत्र के बाद देशभर में फैले ‘हिन्दी से न्याय’ अभियान के उनके साथी एवं शुभचिन्तक अपनी प्रतिक्रियाएं प्रेषित कर रहे हैं, वह इसे अपने नेतृत्व पुरुष के अलावा समूचे अभियान का अपमान बता रहे हैं एवं इसके देशव्यापी विरोध की योजना बना रहे हैं।

15 हजार फीट ऊंचाई पर शहीद हुआ मेरठ का लाल, अंतिम विदाई के लिए उमड़ा सैलाब

चन्द्रशेखर उपाध्याय की न केवल देशव्यापी पहचान है बल्कि अपने एकल प्रयत्नों से वह अपने अभियान को अंग्रेजों की धरती ब्रिटेन के चेस्टर, मैनचेस्टर, हैम्पशायर, कैम्पटीशायर, अमेरिका के टैक्सास, न्यूयार्क, शिकागो, पोर्टलैण्ड, कनाडा, आस्ट्रेलिया के मेलबर्न, नार्वे समेत कई यूरोपीय देशों तक ले गए हैं। इन देशों में रह रहे अप्रवासी भारतीय उनके अभियान के समर्थन में वहां जोरदार हस्ताक्षर अभियान चला रहे हैं। जनवरी 2020 में उन्होंने देश भर में अनुच्छेद 348 में संशोधन की अपनी मांग को लेकर पुनः हस्ताक्षर अभियान शुरू किया था। अभियान के केन्द्रीय जनसंवाद समन्वयक मनीष मित्तल, नवीन जैन और थॉमस जार्ज के अनुसार अब तक 94 लाख हस्ताक्षर उनके पास मौजूद हैं। कोरोना महामारी के कारण अभियान की गति अवरुद्ध हुई है। 2 करोड़ हस्ताक्षर कराने का लक्ष्य है जिसे हासिल कर लिया जाएगा। अभियान से जुड़े लोगों का संकल्प है कि एक परिवार से एक ही हस्ताक्षर कराया जायेगा और यह इस अभियान का नारा बन गया। इस संख्या को अगर चार गुना किया जाए (वैसे भी एक परिवार में 4 सदस्य तो लोगों होते ही हैं) तो इस देश के लगभग पौने चार करोड़  से अभियान के साथियों ने सीधा संवाद किया है। इससे 10 गुना ज्यादा लोग हिन्दी से न्याय अभियान के प्रति अपनी सद इच्छा रखते हैं। देश के 40 करोड़ लोग इस अभियान के साथ हैं।

CM तीरथ सिंह रावत ने आयुष रथ को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना

चन्द्रशेखर उपाध्याय हिन्दी माध्यम से एल-एल.एम. उत्तीर्ण करने वाले पहले भारतीय छात्र हैं इस उपलब्धि के चलते वर्ष 2009 में उनका नाम ‘इण्डिया बुक ऑफ द रिकॉर्ड’ में शामिल किया गया है। दुनिया भर के प्रतिभाशाली और विलक्षण प्रतिभा वाले लोगों को अपनी सूची में शामिल करने वाले विश्व संगठन ‘रिकार्ड होल्डर्स रिपब्लिक’ (आरएचआर) ने उनका नाम वर्ष 2009 में अपनी सूची में शामिल किया है। इसके अलावा यूनाईटेड किंगडम की वेबसाइट में उनका नाम सम्मिलित किया गया है। ‘द सर्वे आफ इण्डिया’ ने 2015 में जारी हिन्दी के प्रथमों में उन्हें 8वें क्रम में स्थान दिया है। इस सूची में कुल 59 प्रथम भारतीय हैं।

वह एक दिन में मात्र 6 घंटे के अन्तराल में सर्वाधिक वाद निपटाने वाले देश के पहले एवं एकमात्र न्यायाधीश हैं। उन्हें न्यायमित्र पुरस्कार मिल चुका है, जिसे वे लौटा चुके हैं। उत्तराखण्ड में एडिशनल एडवोकेट जनरल, दो मुख्यमंत्रियों के ओएसडी (न्यायिक विधायी एवं संसदीय कार्य) एवं विधि आयोग में सदस्य (प्रमुख सचिव विधायी के समकक्ष) रहते हुए उन्होंने हाइकोर्ट में हिन्दी में वाद कार्यवाही आरम्भ कराई है। हिन्दी में याचिका स्वीकार कराई है। उनकी अनगिनत उपलब्धियां हैं। उनके पिता पं. कालीचरण उपाध्याय भाजपा के शलाका पुरुष पं. दीनदयाल उपाध्याय और डॉ. राम मनोहर लोहिया के सबसे विश्वस्त सहयोगी रहे हैं। चौधरी चरण सिंह एवं लोकबंधु राजनारायण उन पर खास भरोसा रखते थे। उन्होंने आगरा में सिंचाई कर आन्दोलन में गिरफ्तार डॉ. राम मनोहर लोहिया की जमानत कराई थी। हिन्दी आन्दोलन, अरदाया आंदोलन समेत कई आन्दोलनों में गिरफ्तार हुए। उनके पिता आपातकाल में मीसाबंदी थे। जेल में उनके स्वास्थ्य को गहरा आघात लगा था जो अल्पायु में उनकी मृत्यु का कारण बना। बहुत कम आयु में उनके पिता ने लगभग साढे़ चार साल जेलों में ही बिताये। फरार रहे, आर्थिक नुकसान सहे। वह संघ के प्रचारक एवं जनसंघ के सबसे कम आयु के मंत्री भी रहे। भारतीय जनसंघ के शलाका पुरुष पं. दीनदयाल उपाध्याय ने 13 मार्च 1942 को उनके घर पर ही संघ प्रचारक बनने का निर्णय लिया। रेवाड़ी में उनके परिजन के यहां रहकर दीनदयाल उपाध्याय कुछ वर्ष पढ़े।

मंत्रिमंडल में बड़े फेरबदल की अटकलें तेज, कल लखनऊ पहुंच रहे है दिग्गज नेता

नानाजी देशमुख, अटल बिहारी वाजपेयी, रामप्रकाश गुप्ता, रज्जू भैया, हो. वि. शेषाद्रि, कुप सी. सुदर्शन समेत संघ-जनसंघ के कई नेता चन्द्रशेखर के संरक्षक रहे हैं। संघ के वर्तमान सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के साथ संघ एवं विद्यार्थी परिषद में वे बतौर सहयोगी कार्य कर चुके हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि विद्यार्थी जीवन में ही अजित सिंह का भाजपा से समझौता चन्द्रशेखर ने ही करवाया था, जिसकी वजह से भाजपा जाट मतों में सेंध लगा पाई। इसके बावजूद बीएल संतोष 28 मई की रात्रि उनके घर से लगभग 15 घर दूर उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री के यहां भोजन करने गये। काफी देर रुके लेकिन वह स्वास्थ्य लाभ कर रहे चन्द्रशेखर का हाल-चाल जानने का समय नहीं निकाल पाए। न ही वहां के किसी भाजपाई ने उन्हें इसकी याद दिलाई। वह पिछले 4 वर्षों से उत्तराखण्ड की भाजपा को रसातल में पहुंचाने वाले त्रिवेन्द्र सिंह रावत के यहां जलपान छकने गए। दोपहर में राज्यपाल के यहां पहुंच गये, भोजन किया लेकिन अपने शलाका पुरुष के परिजनों का हाल-चाल जानने की उन्हें याद नहीं आई जबकि इसकी विधिवत सूचना दीनदयाल परिवार का संवाद का कार्य देख रहे धर्मेन्द्र डोडी ने उन तक पहुंचा दी थी। संतोष का यह उत्तराखण्ड दौरा कोविड सहायता की समीक्षा के रूप में प्रचारित किया गया था लेकिन चिन्ताएं मुख्यमंत्री के चुनाव क्षेत्र की तलाश, भाजपाइयों को निगम-आयोगों में एडजस्ट करने एवं आर्थिक तंत्र की मजबूती को लेकर रहीं।

सरकार ने लोगों की मदद के लिए जारी किए हेल्पलाइन नंबर, निजी चैनलों से की यह अपील

देशव्यापी अभियान ‘हिन्दी के न्याय’ के हिमाचंल प्रांत प्रमुख अनुज शर्मा, उप्र प्रांत प्रमुख डॉ. देवी सिंह नरवार, जम्मू कश्मीर के प्रांत प्रमुख सरदार अमरदीप सिंह गिल, केन्द्रीय जनसंवाद समन्वयक श्रीमती अर्चना शर्मा, भास्कर राव, जे. स्टीफन, रमेश बाबू पिप्पल, इमरान आब्दी, श्रीमती रंजीता शर्मा ने अभियान की 27 प्रांतों की समस्त शाखाओं को संतोष के सहायक की अभद्रता एवं अमर्यादित टिप्पणी को लेकर जनजागरण के लिए पत्रक प्रेषित किए हैं।

संकेत है, बात यहां नहीं रुकेगी, पत्रक संघ प्रमुख एवं प्रधानमंत्री को भी प्रेषित किए जा रहे हैं। यह दिलचस्प है कि चन्द्रेशेखर की अस्वस्थता को लेकर सभी दलों के शीर्ष लोंगों ने चिन्ता व्यक्त की, यद्यपि उनके स्वास्थ्य में काफी सुधार है, इस दौरान भी उन्होंने अभियान को लेकर अपनी सक्रियता एवं निरन्तरता बनाए रखी।

कांग्रेस के अहमद पटेल ने अपने जीवन काल में उनसे कई बार फोन कर उनका हाल-चाल जाना। यहीं नहीं, नवम्बर माह में हरिद्वार में प्राकृतिक चिकित्सा कराने आए अहमद पटेल उनसे देहरादून में मिले भी और दिल्ली आकर स्वास्थ्य लाभ करने को कहा। आप के संजय सिंह एवं अन्य वरिष्ठ नेता उनसे निरन्तर बात करते हैं। सपा-बसपा व कई अन्य दलों के नेता भी उनसे संवाद करते हैं एवं उनके अभियान की गति जानते रहते हैं। लेकिन जिस विचारधारा और दल के लिए उनकी 3 पीढि़यों का संघर्ष और बलिदान है, उन्हें उनके अभियान में कोई दिलचस्पी नहीं है। भाजपा में महामंत्री (संगठन) का पद संघ प्रचारक के लिए आरक्षित रहता है। महामंत्री (संगठन) एक ऐसा ‘सेफ्टी बॉल्व‘ होता है जो हर विपरीत प्रवाह को रोकता है। वह उपेक्षित-अपमानित कार्यकर्ताआंे एवं शीर्ष नेताओं के बीच एक ऐसा सेतु होता है जो हर आसन्न खतरे को टालता है। कार्यकर्ता की हर समस्या का समाधान भी वह ही होता है, लेकिन गुरु गोलवरकर के ‘व्यक्ति संचय’ एवं ‘संस्कार संचय’ के मंत्र की बजाय वह केवल और केवल भाजपा के कुछ लोगों को ही सत्ता के खेल में बनाये रखने में अस्त-व्यस्त, मस्त और पस्त हो जाए तो उसका कर्म कौशल भोथरा हो जाता है। आज भाजपा इसी त्रासदी का शिकार है।

संजय भाई जोशी के बाद अनायास, अकारण एवं असमय भाजपा के महामंत्री (संगठन) बनाए गये राम लाल लगभग 13 वर्ष इन्हीं ग्रन्थियों में उलझे रहे। जिस पद को नाना जी देशमुख, कुशाभाऊ ठाकरे जैसे लोगों ने संभाला था। उसकी गरिमा-प्रतिष्ठा बढ़ायी थी, वहां भाजपाइयों ने नेतृत्व की चारु परिक्रमा करने वाले महामंत्री (संगठन) भी देखे। भाजपा की वैचारिक निष्ठा अस्पष्ट, असंदिग्ध है। उसकी सैद्धांतिक प्रतिबद्धताएं बेहद राजनैतिक दबाव में हैं। भाजपा केवल और केवल सत्ता में बने रहने की राजनीतिक विवशता व मोह की शिकार है। वह अपने शलाका पुरुषों की मूर्तियों एवं चित्रों पर फूल तो चढ़ाती है, लेकिन उनके पथ से सर्वथा परहेज ही रखने लगी है। देश को कांग्रेस मुक्त बनाने का दंभ भरने वाली भाजपा और भाजपाई ‘सर्वदल युक्त भाजपा’ के नवीन शरणार्थियों के लिए ताली पीटने को अभिशक्त है। भाजपा एक ऐसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में तब्दील हो गई है, जहां वास्तविक अंशधारकों का कोई स्थान नहीं होता। कंपनी के वर्तमान डायरेक्टर्स ही जिसमें सर्वेसर्वा होेते हैं। कंपनी की समस्त हानियां, अपयश वास्तविक अंशधारकों के खाते में और समस्त लाभ, मुनाफा, यश डायरेक्टर्स के खाते में दर्ज किया जाता है।

पर भाजपा यह भूल रही है कि वाणी विलास एवं बुद्धि विलास सदैव परिणामकारी साबित नहीं होता। आर्थिक पक्ष एवं राजसत्ता का एक ही स्थान पर केंद्रीकरण अंततः उसके लिये घातक सिद्ध होगा। चंद्रशेखर का संतोष को लिखा पत्र इन्हीं चिंताओं की तरफ संकेत करता है। पत्र में उन्होंने कई शिष्ट चेतावनी दी है। क्या भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस ‘शिष्ट-विद्रोही’ की चेतावनियों एवं चिंताओं पर चिंतन-मंथन कर भूल सुधारेगा या फिर उसके स्थापना-पुरुष के परिवार का यह सदस्य अपना नया रास्ता चुनेगा, यह देखना दिलचस्प होगा। फिलवक्त हम उस नजारे का इंतजार ही करें।

Tags: chandra shekhar
Previous Post

फिर बिगड़ी सपा सांसद आजम खान की तबियत, चेस्ट में आई दिक्कत

Next Post

इस जिले में बगैर वैक्सीन प्रमाण पत्र के नहीं मिलेगी शराब, दुकानों पर लगे पोस्टर

Writer D

Writer D

Related Posts

Expressway
उत्तर प्रदेश

देश में बने हर 10 में 6 किलोमीटर एक्सप्रेसवे होंगे यूपी में

20/06/2025
CM Yogi dedicated the Gorakhpur Link Expressway to the public
Main Slider

पहचान के संकट से निकलकर आज आजमगढ़ बना अदम्य साहस का गढ़- सीएम योगी

20/06/2025
CM Mohan Yadav
राजनीति

डकैत हो या डकैत का बाप… कांग्रेस पार्षद को पकड़ने के लिए सीएम मोहन ने पुलिस को खुली दी छूट

20/06/2025
air india
क्राइम

एअर इंडिया ने रद्द की 8 उड़ानें, 4 अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स भी शामिल

20/06/2025
Draupadi Murmu
राष्ट्रीय

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू का 67वां जन्मदिन आज, PM मोदी समेत कई दिग्गजों ने दी शुभकामनाएं

20/06/2025
Next Post
no alcohal without corona vaccination certificate

इस जिले में बगैर वैक्सीन प्रमाण पत्र के नहीं मिलेगी शराब, दुकानों पर लगे पोस्टर

यह भी पढ़ें

Counselling

पालीटेक्निक संस्थाओं में प्रवेश के लिए 19 से फिर शुरू होगी काउंसिलिंग

18/11/2021

शादी से ठीक तीन दिन महिला ने बच्चे को दिया जन्म, प्रेग्नेंसी से थी अंजान

19/09/2021

JEECUP 2023 की डेटशीट जारी, इस दिन से शुरू होगी यूपी पॉलिटेक्निक प्रवेश परीक्षा

15/07/2023
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version