नरसिंहपुर। द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ( Shankaracharya Swami swaroopanand Saraswati) का रविवार दोपहर को ब्रह्मलीन हो गए हैं। आज शाम 4 बजे उन्हे मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले के झोतेश्वर आश्रम में समाधि दी जाएगी। समाधि की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। शंकराचार्य के अंतिम दर्शन के लिए हाजरों की तादाद में भक्त झोतेश्वर आश्रम पहुंच रहे हैं। इस दौरान पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर व्यवस्था बनाएं रखने लिए मौजूद हैं।
बताया जा रहा है कि अंतिम समाधि के वक्त मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ-साथ कई मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री भी शंकराचार्य के अंतिम दर्शन के लिए जा सकते हैं। बता दें कि गुजरात स्थित द्वारका-शारदा पीठ और उत्तराखंड स्थित ज्योतिश पीठ के शंकराचार्य थे स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती।
जलसमाधि नहीं, दी जाएगी भूसमाधि
परमहंसी गंगा आश्रम में मौजूद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने शंकराचार्य ( Shankaracharya) के ब्रह्मलीन होने पर कहा कि, स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की कमी देश के आध्यात्मिक जगह तो हमेशा खलेगी। अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि गुरु प्रथा के अनुसार शंकराचार्य को सिर्फ समाधि दी जा सकती है। उन्होंने बताया कि शंकराचार्य ( Shankaracharya) ने अपने जीवन के अंतिम समय में भूसमाधि की इच्छा जाहिर की थी। क्योंकि उन्हें नदियों में फैल रहे प्रदूषण की बहुत चिंता थी।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती हुए ब्रह्मलीन, 99 साल की उम्र में ली अंतिम सांस
उन्होंने कहा कि, ‘पूरे विधि विधान के साथ शंकराचार्य को आश्रम परिसर में ही भू समाधि दी जाएगी।’ उन्होंने शंकराचार्य के व्यक्तित्व के बारे में बताते हुए कहा, ‘बात धर्म की हो, समाज की, या देश की राजनीति की, उन्होंने हर विषय पर खुलकर बात रखी, वह ऐसे व्यक्तित्व के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। ऐसे में शायद ही कोई उनकी जगह ले पाएगा।’
लंबे समय से थे बीमार
आश्रम के अनुसार स्वामी स्वरूपानंद पिछले एक साल से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे। उन्हें पिछले कुछ महीनों से वेंटिलेटर की जरूरत पड़ रही थी और वह डायबिटीज से भी ग्रसित थे इस वजह से उनका डायलिसिस भी चल रहा था। रविवार दोपहर उन्हे 3।21 बजे हार्ट अटैक आया इसके साथ ही उन्होंने अंतिम सांस ली।