मुंबई। महाराष्ट्र की उद्धव सरकार (Uddhav Government) पर सजनीति संकट के बादल गहराते जा रहे हैं। सियासी हलचल के बीच महाराष्ट्र में विधानसभा के भंग होने, सत्ता परिवर्तन या मध्यावधि चुनाव जैसी संभावनाओं पर चर्चा शुरू हो गई है। शिवसेना के कद्दावर नेता संजय राउत (Sanjay Raut) ने भी महाराष्ट्र की विधानसभा के भंग होने के संकेत दे दिए हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि महाराष्ट्र की राजनीति में वर्तमान हालात विधानसभा के भंग होने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
दरअसल, शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र सरकार की मुसीबतों को बढ़ा दिया है। एकनाथ शिंदे शिवसेना के बागी विधायकों के साथ गुवाहाटी में ठहरे हुए हैं। इससे पहले वे मंगलवार को सूरत पहुंचे थे। शिंदे का दावा है कि उनके साथ 40 विधायक हैं। बताया जा रहा है कि शिंदे के साथ शिवसेना के 33 और अन्य 7 विधायक हैं। शिवसेना के कुछ और विधायक भी शिंदे के खेमे में जा सकते हैं।
महाराष्ट्रातील राजकीय घडामोडींचा प्रवास विधान सभा बरखास्तीचया दिशेने..
— Sanjay Raut (@rautsanjay61) June 22, 2022
शिवसेना के विधायकों के बागी होने के बाद से महाविकास अघाड़ी सरकार में हलचल मच गई है। मुंबई में बैठकों का दौर जारी है। उधर, कांग्रेस नेता कमलनाथ ने कांग्रेस के विधायकों के साथ बैठक की है। एनसीपी प्रमुख शरद पवार वाई बी चव्हाण सेंटर पहुंच गए हैं। यहां महाविकास अघाड़ी सरकार की बड़ी बैठक हो रही है।
संजय राउत बोले- ज्यादा से ज्यादा सत्ता जाएगी
संजय राउत ने मौजूदा हालातों को लेकर कहा कि ज्यादा से ज्यादा क्या होगा, सिर्फ सत्ता जाएगी। हालांकि, इससे पहले उन्होंने कहा था कि हमारी आपस में बात हो रही है। आज सुबह मैंने एकनाथ शिंदे से 1 घंटा बातचीत की है। जो बात हुई मैंने पार्टी चीफ को बताया है उनके साथ जो विधायक हैं, उनके साथ भी हमारी बात हो रही है। सभी शिवसेना में हैं शिवसेना में रहेंगे। उन्होंने कहा, एकनाथ शिंदे हमारे बहुत अच्छे मित्र हैं। सालों साल से हम एक दूसरे के साथ काम कर रहे हैं। उनके लिए आसान नहीं है पार्टी छोड़ना और हमारे लिए भी आसान नहीं है उनको छोड़ना।
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एकनाथ शिंदे का दावा है कि उनके साथ 40 विधायक हैं। बताया जा रहा है कि शिंदे ने शिवसेना नेतृत्व के सामने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की शर्त रखी है। हालांकि, शिंदे के साथ मौजूद उद्धव के एक और मंत्री संदीपन भुमरे ने बुधवार को गुवाहाटी पहुंचकर कहा कि उनकी नाराजगी शिवसेना नेतृत्व से नहीं है। लेकिन वे कांग्रेस और एनसीपी के काम करने के तरीकों से नाराज हैं।