• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

खिलौनों में आत्मनिर्भरता की तलाश

Desk by Desk
27/02/2021
in Main Slider, अंतर्राष्ट्रीय, ख़ास खबर, नई दिल्ली, राष्ट्रीय
0
खिलौनों में आत्मनिर्भरता की तलाश

खिलौनों में आत्मनिर्भरता की तलाश

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

सियाराम पांडेय ‘शांत’

जीवन एक खेल है। जो इसे खेल की तरह रहता है, प्रसन्न रहता है। भ्रांतियों और क्लेशों के दुष्चक्र में नहीं फंसता। एक फिल्म का गीत था। हंसते-हंसते जीना सीखो, हंसते-हंसते रोना। जितनी चाभी भरी राम ने उतना चले खिलौना।’ खिलौने बच्चों को ही नहीं, बड़े- बूढ़ों को भी अच्छे लगते हैं। उन्हें भी अपने बचपन की याद दिलाते हैं। बच्चे निर्जीव खिलौनों से सीखते हैं और बड़े बच्चों को ही खिलौना मान बैठते हैं।

कबीरदास ने लिखा है कि कहै कबीर एक बुधि विचारी। बालक दुखी-दुखी महतारी। बालक क्या है। माता को आनंदित करने वाला एक खिलौना ही तो है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 मार्च तक चलने वाले देश के सबसे पहले खिलौना मेले का वर्चुअल उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कई लोगों से बातचीत तो की ही, खिलौनों को बच्चों के जीवन का अभिन्न अंग और उनके सीखने-समझने का जरिया भी करार दिया।

उन्होंने प्लास्टिक के खिलौनों की बजाय लकड़ी के खिलौने बनाने पर विशेष जोर दिया तो वे यह कहना भी नहीं भूले कि कि बच्चे खिलौनों की नकल करते हैं। यही वजह है कि खिलौने बच्चों की जिंदगी का हिस्सा बन जाते हैं। खिलौना उद्योग में बहुत बड़ी ताकत छिपी हुई है । खिलौनों का भारत में शायद सबसे पहला प्रयोग हुआ था। यहां के बच्चे तो चांद को भी खिलौना समझते हैं। मैया मैं तां चांद खिलौना लैंहो। जइहों लोटि धरनि पै अबहिं तेरी गोद न अइहौं। चंद्र रूपी खिलौने के लिए बालहठ अन्य किसी देश में हुआ होगा, इसका कोई दृष्टांत वहां की किताबों में, वहां के धर्मग्रंथों में तो नजर नहीं आता।

राम मन्दिर निर्माण के लिए मुरलीधर आहूजा दो लाख से अधिक का किया योगदान

जिन खिलौनों का सर्वप्रथम आविष्कार भारत में हुआ था, उन्हीं खिलौनों को बनाकर चीन ने भारत से रोज कितना कमाया, इसका कोई आकलन भी नहीं कर सकता। प्रधानमंत्री ने इस बात को समझा और जाना कि अगर भारत को वाकई तरक्की करना है तो उसे प्राचीन भारतीय परंपराओं, कलाओं और शिल्पों को अपनाना होगा। लुप्त हो चुके भारतीय कुटीर उद्योगों को संजीवनी देनी होगी।

बकौल प्रधानमंत्री, खिलौना मेला केवल एक व्यापारिक या आर्थिक कार्यक्रम भर नहीं है यह देश की सदियों पुरानी खेल और उल्लास की संस्कृति को मजबूत करने की एक कड़ी है। मेले में कारीगरों और स्कूलों से लेकर बहुराष्ट्रीय कंपनिययों के साथ साथ 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 1,000 से अधिक लोग अपनी प्रदर्शनी लगा रहे हैं। खिलौना मेला एक ऐसा मंच है जहां खिलौनों की डिजायन, नवाचार, प्रौद्योगिकी से लेकर मार्केटिंग पैकेजिंग तक चर्चा परिचर्चा होगी और लोग अनुभव साझा करेंगे। इस मेेले में भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग और ई-स्पोर्ट उद्योग के ईको सिस्टम के बारे में जानने का अवसर होगा। खिलौनों के क्षेत्र में भारत की परंपरा, प्रौद्योगिकी , अवधारण से पूरी दुनिया रूबरू होगी।

प्रधानमंत्री यहीं नहीं रुकते बल्कि दुनिया को इको फ्रेन्डली खिलौनों की ओर वापस ले जाने की वकालत भी करते हैं। वे चाहते हैं कि भारतीय साफ्टवेयर इंजीनियर कंप्यूटर गेम्स के जरिए भारत की कहानियों को, भारत के जीवन मूल्यों को, पूरी दुनिया के बीच ले जाएं। उनका मानना है कि 100 बिलियन डॉलर का वैश्विक खिलौना बाजार है और उसमें भारत की हिस्सेदारी बहुत ही कम है। देश में 85 प्रतिशत खिलौने बाहर से आते हैं, विदेशों से मंगाए जाते हैं। इसकी वजह यह है कि इस देश में भारतीय कारीगरों, कलाकारों की हद दर्जें की उपेक्षा हुई है।

यह सिलसिला पिछले सात दशक से चल रहा है। उसका परिणाम यह है कि भारत के बाजार से लेकर परिवार तक में विदेशी खिलौने भर गए हैं । भारतीय बच्चे अपने देश के वीरों, हमारे नायकों से ज्यादा बाहर के नायकों के बारे में बात करने लगे हैं। प्रधानमंत्री खिलौना मेला के जरिए न केवल भारतीय काीरगरों को स्थापित करना चाहते हैं बल्कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता को प्रतिष्ठित भी करना चाहते हैं। उनकी सोच है कि विदेशी भी भारतीय खिलौनों को अपने बच्चों के लिए खरीदें।

यह एक अच्छी सोच है और इसका स्वागत किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री की जो चिंता है, वह चिंता तो पूरे देश की होनी चाहिए। दीप से दीप जलाते चलों का घोष करने वाले देश में अगर कारीगर अपनी अगली पीढ़ी को अपना हुनर देने से बचने लगे हैं, वे सोचते हैं कि बेटे इस कारोबार में न आएं तो इससे अधिक चिंताजनक बात और क्या हो सकती है? आज हमें इस स्थिति को बदलने के लिए मिलकर काम करना है। हमें खेल और खिलौनों के क्षेत्र में भी देश को आत्मनिर्भर बनाना है, वोकल फॉर लोकल होना है।

इसके लिए हमें आज की जरूरतों को समझना होगा। हमें दुनिया के बाजार को, दुनिया की प्राथमिकताओं को जानना होगा। हमारे खिलौनों में बच्चों के लिए हमारे मूल्य, संस्कार और शिक्षाएं भी होनी चाहिए, और उनकी गुणवत्ता भी परखी जानी चाहिए। हुनरहाट आयोजित कर वे पहले ही कारीगरों और कलाकारों को स्थापित करने में जुटे हैं। जाहिर है, प्रधानमंत्री का यह प्रयोग देश को नई दिशा देगा और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में मील का पत्थर साबित होगा।

Tags: खिलौनों में आत्मनिर्भरता की तलाशचीनजीवन एक खेलप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
Previous Post

बजट समवेशी व जन आकांक्षाओं के अनुरूप होगा : त्रिवेन्द्र सिंह रावत

Next Post

नीति आयोग उपाध्यक्ष ने त्रिवेंद्र से की मुलाक़ात, इन मुद्दों पर हुई वार्ता

Desk

Desk

Related Posts

Bhai Dooj
धर्म

इस दिन मनाया जाएगा भाई दूज, जानें तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त

20/10/2025
Govardhan Puja
Main Slider

गोवर्धन पूजा कब है, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा महत्व

20/10/2025
Lizard
Main Slider

दिवाली पर इस जानवर का दिखना होता है शुभ, कारोबार में मिलेगी सफलता

20/10/2025
Rangoli
फैशन/शैली

दिवाली पर नहीं मिला रंगोली बनाने का टाइम, तो इन ट्रिक्स से मिनटों में बना लेंगी

20/10/2025
Suran Sabzi
Main Slider

दिवाली के दिन जरूर बनाई जाती है ये टेस्टी सब्जी, नोट करें मजेदार रेसिपी

20/10/2025
Next Post
NITI Aayog Vice-President meets Trivendra

नीति आयोग उपाध्यक्ष ने त्रिवेंद्र से की मुलाक़ात, इन मुद्दों पर हुई वार्ता

यह भी पढ़ें

मप्र के राज्यपाल लालजी टंडन की हालत गंभीर, वेंटिलेटर सपोर्ट पर

20/07/2020
open letter from Bollywood celebrities

बॉलीवुड की कई हस्तियों ने लिखा ‘खुला पत्र’, रिया चक्रवर्ती के पीछे पड़ने का लगाया आरोप

16/09/2020
योगी मंत्रिमंडल का विस्तार 4 फरवरी को cm yogi

योगी सरकार ने गरीब छात्र-छात्राओं को दी ये बड़ी राहत, किया ये काम

07/11/2020
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version