लगभग लोग जानते हैं कि वास्तु में दिशाओं आदि के साथ-साथ घर आदि में पड़ी हर चीज़ का संबंध मानव जीव से बताया गया है। मगर क्या आप जानते हैं घर में पड़े मेट और कारपेट भी वास्तु शास्त्र में अधिक महत्व रखता है। वास्तु शास्त्री बताते हैं हर व्यक्ति को घर में रखे जाने वाले मेट और कारपेट का चयन वास्तु के अनुसार ही करना चाहिए। जैसे कि कारपेट कैसा हो व किस रंग का हो। तो आइए जानते हैं वास्तु में बताई गई मेट और कारपेट से संबंधी टिप्स-
वास्तु शास्त्र के अनुसार फर्श के लिए हल्के पीले या सफेद रंग के संगमरमर का उपयोग श्रेष्ठ माना जाता है। इसके अलावा फर्श में लगी टाइल्स भी सोच-समझकर ही लगानी चाहिए।
वास्तु विशेषज्ञ बताते हैं कि उत्तर में काले, उत्तर-पूर्व में आसमानी, पूर्व में गहरे हरे, आग्नेय में बैंगनी, दक्षिण में लाल, नैऋत्य में गुलाबी, पश्चिम में सफेद और वायव्य में ग्रे रंग के फर्श होना चाहिए।
कैसा व किस रंग का हो कारपेट –
वास्तु के अनुसार लिविंग रूम के लिए वर्गाकार या आयताकार कारपेट अच्छे होते हैं। इससे घर में आने वाले मेहमान आकर्षित होते हैं।
घर के प्रत्येक कमरे में अलग-अलग रंगों का सुंदर सा करपेट बिछाना चाहिए, ध्यान रखें कि उस कारपेट को प्रतिदिन अच्छे से साफ करें। कहा जाता है कि विभिन्न डिजाइन, आकृति व रंगों के कालीन न केवल घर की शोभा बढ़ती है तथा सकारात्मकता का आगमन होता है।
ध्यान रखें कि लाल और पीले रंग का कारपेट घर आदि में नहीं रखना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह लक्ष्मी और हनुमान जी का रंग माना जाता है। इसके विपरीत इन रंगों में मिक्स करके कोई अन्य रंग का उपयोग कर सकते हैं, पर ध्यान रहे इसमें कोई न कोई डिज़ाइन ज़रूर होना चाहिए।
समय समय पर कारपेट आदि को ड्राईक्लीनिंग करवाते रहने चाहिए। क्योंकि इनके भीतर धीरे-धीरे मिट्टी या धूल जमा हो जाता है जो वास्तु के अनुसार सही नहीं होती।
मेन डोर का मेट
मुख्य द्वारा मेट सामान्य होना चाहिए, यानि उस पर किसी भी प्रकार के मांगलिक चिन्ह नहीं होने चाहिए जैसे अष्टदल, दीपक या कमल का फूल आदि।
ये अधिकतर रूप से मेन डोर का मेट सिम्पल और प्लेन होना चाहिए। वास्तु शास्त्री का मानना है कि नारियल की रस्सी का मेट शुभ माना जाता है।
लाल या पीले रंग का मेट उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे जीवन में वास्तु दोष पैदी होते हैं।