धार्मिक दृष्टि से अमावस्या महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह तिथि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन आती है। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 5 जून को मनाई जाएगी। अगले दिन ज्येष्ठ अमावस्या है। इस तरह 6 जून को ज्येष्ठ अमावस्या है। ज्येष्ठ अमावस्या के दिन भगवान भास्कर के पुत्र शनिदेव का जन्म हुआ था। ज्येष्ठ अमावस्या को शनि अमावस्या (Shani Amavasya) भी कहा जाता है।
इस दिन शनिदेव की विशेष पूजा होती है। इसके अलावा, भक्त शनि दोष से राहत पाने के लिए व्रत भी रखते हैं। धार्मिक मान्यता है कि शनिदेव की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। साथ ही जीवन में व्याप्त कष्ट और परेशानियां भी दूर हो जाती हैं। आइए, जानते हैं कि शनि अमावस्या (Shani Amavasya) की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है।
शनि अमावस्या (Shani Amavasya) शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि 5 जून को शाम 7 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी। इसका समापन 6 जून को शाम 6.07 बजे होगा। तिथियों की गणना उदया तिथि से ही की जाती है। इस तरह शनि अमावस्या (Shani Amavasya) 6 जून को मनाई जाएगी।
शनि अमावस्या (Shani Amavasya) महत्व
सनातन धर्म में शनि अमावस्या (Shani Amavasya) का विशेष महत्व होता है। इस तिथि पर श्रद्धापूर्वक शनिदेव की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल पाने के लिए भी व्रत रखा जाता है। शनि जयंती पर मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं। इस दिन लोग अपने घरों के मुख्य द्वार पर नींबू और मिर्च लगाते हैं। इस दिन भक्त काले कपड़े पहनते हैं। साथ ही चप्पल-जूते का परित्याग करते हैं।