सनातन धर्म में शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि शनि देव किसी भी जातक को उसके कर्म के अनुसार ही प्रतिफल देते हैं। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, शनिदेव की उपासना करने से जातक के जीवन से सभी दुख दूर होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। ऐसे में शनि जयंती (Shani Jayanti) पर पूजा के दौरान भी कुछ बातों की विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
जानें कब है शनि जयंती (Shani Jayanti)
हिंदू पंचांग के अनुसार, शनि जयंती (Shani Jayanti) साल में दो बार मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख अमावस्या तिथि की शुरुआत 07 मई को सुबह 11.40 बजे पर होगी और इसका समापन 08 मई को सुबह 08.51 बजे होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार शनि जयंती 08 मई को मनाई जाएगी। इस दौरान पवित्र नदी में स्नान, ध्यान, पूजा और तप का विशेष महत्व है। शनिदेव की पूजा के दौरान करने से शनि की महादशा से छुटकारा मिलता है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
शनि जयंती (Shani Jayanti) पर ऐसे करें पूजा
– शनि जयंती (Shani Jayanti) के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
– स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
– चौकी पर साफ काले रंग का कपड़ा बिछाकर शनिदेव की प्रतिमा विराजमान करें।
– शनि देव की प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक करें।
– गंध, पुष्प, धूप, दीप अर्पित करके सरसों के तेल का दीपक जलाकर आरती करें।
– शनि मंत्र व शनि चालीसा का जाप करें।
– आखिर में मिठाई या इमरती का भोग लगाएं।
– शनि जयंती के अवसर भगवान हनुमान जी की भी पूजा अर्चना करें।
– भूलकर भी न करें ये गलतियां
शनि जयंती (Shani Jayanti) के दिन किसी का अपमान नहीं करना चाहिए और किसी को दुख नहीं पहुंचाना चाहिए। कर्मचारियों के साथ बुरा व्यवहार भी नहीं करना चाहिए। मांस या शराब का सेवन करने से बचना चाहिए। अभद्र भाषा के प्रयोग से बचना चाहिए।