शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri ) 15 अक्टूबर को 30 साल बाद बुधादित्य योग के महासंयोग में होगा। इस बार नवरात्र पूरे नौ दिन के रहेंगे। नौ दिन में किसी भी तिथि का क्षय नहीं होने से यह विशेष शुभ माने जा रहे हैं। नवरात्र के नौ दिनों में अनेक ग्रहों का राशि तथा नक्षत्र परिवर्तन होगा। ग्रहों का राशि तथा नक्षत्र परिवर्तन साधना का शुभ फल प्रदान करने के साथ उन्नति के द्वार खोलेगा। ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डब्बावाला के अनुसार 15 अक्टूबर को रविवार के दिन चित्रा नक्षत्र एवं तुला राशि के चंद्रमा की साक्षी में शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri ) का आरंभ होगा।
रविवार का दिन और बुधादित्य योग महत्वपूर्ण
ग्रह गोचर की गणना से देखें तो इस दिन सूर्य बुध का कन्या राशि में गोचर रहेगा, जो बुधादित्य योग का निर्माण करेगा। संयोग से इस दिन रविवार भी है। ज्योतिष की मान्यता में रविवार का दिन और बुधादित्य योग महत्वपूर्ण है। पराक्रम, प्रतिष्ठा में वृद्धि के लिए साधना विशेष लाभ प्रदान करेगी।
नौ दिन के नवरात्र में एक भी तिथि का क्षय नहीं
धर्म शास्त्रीय मान्यता के आधार पर देखें तो नवरात्र पूरे 9 दिन की होती है तो वह वर्ष पर्यंत शुभकारी मानी जाती है। इस बार नवरात्र में किसी भी दिन तिथि का क्षय नहीं है। अलग-अलग तिथियों के अधिपति के साथ माता की साधना का लाभ लिया जा सकता है। उपासना के साथ-साथ विशिष्ट अनुष्ठान सफलता दायक रहेंगे।
यह ग्रह करेंगे राशि व नक्षत्र परिवर्तन
नवरात्र में ग्रहों के राशि व नक्षत्र परिवर्तन भी होंगे। घट स्थापना के दूसरे दिन 16 अक्टूबर को शनि का धनिष्ठा नक्षत्र के चौथे चरण में प्रवेश होगा। 17 अक्टूबर को सूर्य का तुला राशि में प्रवेश होगा। वहीं शुक्र पूर्वा फाल्गुनी में प्रवेश करेंगे।
18 अक्टूबर को बुध तुला में प्रवेश करेंगे। ज्योतिष की मान्यता के अनुसार शनि का नक्षत्र परिवर्तन रुके कार्यों की गति बढ़ाएगा। बुध का राशि परिवर्तन व्यापार व्यवसाय को नई ऊंचाई देगा। शुक्र का नक्षत्र परिवर्तन समृद्धि के द्वार खोलेगा।
तीन दशक में बनता है इस प्रकार का योग
शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri ) में प्रतिपदा से चतुर्थी के मध्य ग्रहों के राशि व नक्षत्र परिवर्तन की यह स्थित 30 साल में एक बार बनती है। इसमें भी सूर्य, शनि व बुध का नक्षत्र चरण व राशि परिवर्तन विशेष मायने रखता है।