यह साल भारतीय इकोनॉमी (Indian Economy) के लिए बेहद खास रहा है. एक तरफ जहां दुनिया मंदी से जूझ रही है, भारत आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है. इसमें देश में हुए इवेंट्स ने एक बड़ी भूमिका निभाई है. इसने ना सिर्फ इकोनॉमी को बीच-बीच में बूस्टर डोज दिया है. बल्कि इंस्टेंट और लॉन्ग टर्म के लिहाज से बेहतर विकल्प भी पेश किया है. कभी भी जब कहीं पर इवेंट होता है तो उससे उस वक्त के लिए कई लोगों का रोजगार जुड़ा होता है. इवेंट को आयोजित करने के लिए वहां स्टॉल बनाने से लेकर तैयारियों में खर्चा किया जाता है. यह पैसा इकोनॉमी में ही इनडायरेक्टली लग रहा होता है. वहां आस-पास में मौजूद लोगों को कुछ समय के लिए रोजगार भी मिलता है. आज की इस ईयर एंडर स्टोरी में हम आपको उन 7 बड़े इवेंट्स के बारे में बताने वाले हैं, जिसने भारत की ताकत को दुनिया के सामने पेश करने का काम किया है.
Auto Expo 2023 में भारत ने पेश की मिशाल
इंडियन ऑटो एक्सपो का आयोजन 13 जनवरी से लेकर 18 जनवरी तक ग्रेटर नोएडा एक्सपो मार्ट में किया गया था. पिछले साल भी इसका आयोजन किए जाने की उम्मीद थी लेकिन कोरोना प्रतिबंधों के कारण इसे रद्द कर दिया गया. इसमें टाटा मोटर्स, मारूति, किया, हुंडई मोटर, लेक्सस, टोयोटा, एमजी मोटर, बीवाईडी और बेंगलुरु बेस्ड ईवी स्टार्टअप कंपनी Pravaig Dynamics ने भी हिस्सा लिया था. इन सभी गाड़ियों का मेन फोकस ईवी गाड़ियों को मार्केट में पेश करने पर रहा. कई कंपनियों ने हाइब्रिड मॉडल को भी पेश किया. टोयोटा और टाटा मोटर्स ने हाइड्रोजन कार के फ्यूचर मॉडल को भी पेश किया.
कोरोना के बाद आयोजित किए गए इस इवेंट में कई दूसरी बड़ी कंपनियों ने वहां हिस्सा लिया, जिसमें टू-व्हीलर्स और थ्री व्हीलर्स शामिल किए गए. इन गाड़ियों के भारत में नए फ्यूचर मॉडल को पेश करना इंडियन इकोनॉमी के लिए अच्छा संकेत है. इसे आसान भाषा में कहें तो जब कोई कंपनी इस शर्त के साथ अपने फ्यूचर मॉडल को पेश करती है कि उसे इंडिया में ही तैयार कर बाजार में पेश करेगी तो इसका मतलब है कि कंपनी इसके लिए इन्वेस्टमेंट करेगी, जो रोजगार पैदा करेगा और वह इनडायरेक्टली इकोनॉमी को बूस्ट करेगा. और कंपनियां पैसा तभी लगाती है जब उसे भरोसा होता है कि वहां मांग है और उसे प्रॉफिट होगा.
जी20 समिट 2023 को भारत ने किया होस्ट
जी-20 की अध्यक्षता के जरिए भारत को दुनियाभर के देशों के सामने ब्रैंड इंडिया की छवि मजबूत बनाने का मौका मिला है. इसकी शुरुआत पीएम मोदी ने हाल में इंडोनेशिया में हुए जी-20 समिट से की थी. उन्होंने देश के अलग-अलग हिस्सों से बने उत्पाद दुनिया के दिग्गज नेताओं को तोहफे में दिए थे. एक्सपर्ट मानते हैं कि इसके जरिए टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा. इन कार्यक्रमों के जरिए दुनिया के देशों में भारत के पर्यटन स्थलों की लोकप्रियता बढ़ेगी. मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट को बढ़ावा मिल सकता है. दुनियाभर के देशों के बीच भारत में बने उत्पादों की पहुंच बढ़ेगी. इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा.
न्यू संसद भवन से लिखा जाएगा भारत का इतिहास
जब किसी देश का संसद भवन बेहतर होता है और वहां कोई विदेशी मेहमान आता है तो उसके बारे में पूरी दुनिया जानती है. इससे उस देश की ब्रैंड छवि को बेहतर करने का मौका मिलता है. अब भारत के पास भी शानदार सुविधाओं वाला आलिशान संसद भवन है. नए संसद भवन के निर्माण का भूमि पूजन 10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. वहीं 28 मई 2023 को पीएम ने ही इसका उद्घाटन किया. टाटा प्रोजेक्ट्स ने नए संसद भवन को करीब 971 करोड़ रुपये की लागत में तैयार किया है. ये 20,000 करोड़ रुपये के सेंट्रल विस्टा रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट का हिस्सा है. इसके लिए पहले मूल रूप से 862 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ था. नए संसद भवन के निर्माण में 26,045 टन स्टील का इस्तेमाल हुआ है. वहीं इसके लिए 63,807 टन सीमेंट उपयोग में लाया गया है. इतना ही नहीं इसके निर्माण में 23.04 लाख कार्यदिवस का रोजगार भी पैदा हुआ.
इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स की यूएन में गूंज
भारत एक कृषि प्रधान देश है. देश की आधा से अधिक आबादी इसपर निर्भर करती है. ऐसे में जब बात देश से जुड़े बड़े इवेंट्स की हो और कृषि से जुड़े इवेंट को लिस्ट में ना रखा जाए तो यह इस देश की अर्थव्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह होगा. केंद्र सरकार ने मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए श्री अन्न योजना की शुरुआत की है. सरकार का मानना है कि इस योजना के तहत देश में बाजरा की खेती से छोटे और सीमांत किसानों(वे किसान जिनके पास अपनी जमीन खेती के लिए नहीं हो) की आय में वृद्धि होगी. साथ ही इस फसल की खेती को लोकप्रिय बनाने में मदद भी मिलेगी. वर्ष 2023 को भारत द्वारा एक प्रस्ताव के बाद संयुक्त राष्ट्र ने बाजरा मिशन को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स के रूप में घोषित किया है, जो खुद को बाजरा के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना चाहता है. बता दें कि सरकार नई और उभरती टेक्नोलॉजी को अपनाकर इस क्षेत्र को सबसे मॉडर्न बनाने के लिए सभी कदम उठाने को तैयार है. वहीं, सरकारी बयान में कहा गया है कि वैश्विक बाजरा बाजार में 2021-2026 के बीच 4.5 प्रतिशत सीएजीआर दर्ज करने का अनुमान है.
चंद्रयान-3 और आदित्य L1 की सफलता
भारत के चंद्रयान-3 और आदित्य L1 की सफलता के साथ इनके बजट को भी व्यापक रूप से चर्चा मिल रही है. चंद्रयान-3 को 615 करोड़ रुपए के बजट में चांद की सतह पर लैंड किया गया था, जो इस मिशन को सबसे किफायती बनाता है. आदित्य L-1 मिशन के लिए इसरो ने 400 करोड़ रुपए निर्धारित किए थे. यह सफलता न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है, बल्कि यह भी दुनिया को दिखाता है कि कम खर्चे के साथ अंतरिक्ष मिशनों को संभालना संभव है. इस सफलता के बाद, आशा है कि अन्य देश भी भारत के इस उपलब्धि से प्रेरित होकर सस्ते अंतरिक्ष मिशनों को शुरू करेंगे. कई अन्य देश भी इसरो की इस क्षमता का फायदा उठाने के लिए इस दिशा में काम कर सकते हैं. इस सफलता के बाद इसरो ने खुद को एक सबसे किफायती अंतरिक्ष मिशन की एजेंसी के रूप में स्थापित किया है. अब यह आगे बढ़कर कमर्शियल लॉन्चिंग के लिए भी कदम बढ़ा रहा है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ोतरी मिलेगी. आपने नोटिस किया हो तो देखा होगा कि जिन कंपनियों ने इस मिशन के साथ काम किया था उनके शेयर में रिकॉर्ड बढ़ोतरी देखी गई थी.
मोटो जीपी को पहली बार भारत ने किया होस्ट
21 से 25 सितंबर तक ग्रेटर नोएडा में यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो और बाइक रेस मोटो जीपी का आयोजन किया गया था. इस शो में अलग-अलग सेक्टरों के लोगों को अपने प्रोडक्ट्स को प्रदर्शित करने का मौका मिला था. इसमें एग्रीकल्चर और हॉर्टिकल्चर, डिफेंस कॉरिडोर, इन्फ्रा, इंजीनियरिंग और मैन्युफैक्चरिंग, फिल्म सेक्टर, फूड प्रोसेसिंग एंड डेयरी प्रोडक्ट, जीआई टैग प्रोडक्ट, हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट, हेल्थ एंड वेलनेस (आयुष, योग, यूनानी, नेचुरोपैथी), आईटी शामिल थे. यहां के लोगों को अमेरिका, इटली, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड, जर्मनी जैसे विभिन्न देशों के प्रोडक्ट्स को देखने का मौका मिला. बता दें कि इसने MSME सेक्टर से जुड़े व्यापारियों को अपने बिजनेस को वैश्विक पैमाने पर प्रस्तुत करने का मौका दिया.
World Cup 2023 का भारत में हुआ आयोजन
भारत में वर्ल्ड कप 2023 के आयोजन होने से किसी ग्राउंड पर चौकों और छक्कों की बरसात हुई, जबकी इंडियन इकोनॉमी को भी शानदार बूस्ट मिली. बैंक ऑफ बड़ौदा के अर्थशास्त्रियों के अनुसार, 2011 के बाद पहली बार भारत में आयोजित किया जा रहा था. खास बात तो ये है कि वर्ल्ड कप का आयोजन ऐसे में समय में किया गया, जब देश में फेस्टिवल का माहौल चल रहा था. जिसकी वजह से रिटेल सेक्टर को फायदा हुआ. आईसीसी क्रिकेट विश्व कप से भारत की इकोनॉमी को 2.4 अरब डॉलर यानी 20 हजार करोड़ रुपये का फायदा देखने को मिला है. क्रिकेट टूर्नामेंट टिकटों की बिक्री, होटल, रेस्तरां और फूड डिस्ट्रीब्यूशन पर जीएसटी पर बढ़े हुए टैक्स कलेक्शन के माध्यम से सरकारी खजाने को भी सपोर्ट मिला, यही वजह है कि नवंबर महीने में सरकार के खजाने में रिकॉर्ड जीएसटी कलेक्शन हुआ है.