सिद्धार्थनगर। शोहरतगढ़ कस्बे से सटे ब्लॉक रोड अगया मार्ग पर चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के दूरे दिन रविवार की रात महाभारत के भीष्म पितामह की कथा का भक्तों को रसपान कराया गया। इस दौरान कथावाचक राजेंद्र प्रसाद पांडेय ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा जन कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। इसे सुनने से ज्ञान की प्राप्ति होती है। मोक्ष प्राप्ति का भी सरल माध्यम श्रीमद् भागवत कथा है।
डॉ. सुनीता जायसवाल मेमोरियल हॉस्पिटल परिसर में आयोजित कथा में यजमान डॉ. सुशांत जायसवाल व पत्नी किरन गुप्ता ने स्थानीय लोगों के साथ कथा का रसपान किया। कथावाचक ने कहा कि पापी व्यक्ति का अन्न ग्रहण करने से बुद्धी नष्ट हो जाती है। भीष्म पितामह बाणों की शैया पर लेटे हुए पांडवों को ज्ञान दे रहे थे कि राजा होते हुए प्रजा के कष्ट को अपना कष्ट मानना चाहिए। इसी बीच द्रोपदी हंसते हुए कहने लगी कि जिस समय भरी सभा में दुष्ट दुशासन मेरी साड़ी खींच रहा था, उस समय आप सबसे आगे बैठे हुए थे। मैने प्रश्न किया कि पितामह किसी नारी को भरी सभा में निर्वस्त्र करने का प्रयास क्या न्याय विरुद्ध नहीं है तब पितामह ने कहा कि मैंने दुष्ट दुर्योधन का दूषित भोजन ग्रहण किया था। उसी अन्न के प्रभाव से मेरी मति में विकृति उत्पन्न हो और मैं धर्म- अधर्म का भेद जान नहीं पाया। मैने अपने जीवन में कोई पाप नहीं किया, केवल एक पाप मुझसे हुआ। उसी दोष के कारण मुझे बाणों की शैय्या मिली है। इस दौरान आचार्य टिल्लू शर्मा, नरायन, चेयरमैन उमा अग्रवाल, सौरभ गुप्ता, पंकज पांडेय, सूर्या पांडेय, सतीश जायसवाल, रविंद्र गौड़, राजा, सुभाष, मिंटू जायवासल, मनोज जायसवाल, आनंद कसौधन, कपूरचंद गुप्ता, प्रधान सरवन, महेश आदि मौजूद रहें।