सियाराम पांडेय ‘शांत’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काशी दौरा पहले ही कुछ घंटों का रहा हो, लेकिन उसने पूर्वांचल के विकास की एक नई इबारत लिख दी है। सच तो यह है कि नरेंद्र मोदी और काशी एक दूसरे के पर्याय बन गए हैं। कभी उन्होंने कहा था कि मैं नहीं आया, मुझे मां गंगा ने बुलाया है। अब वे बार—बार काशी आते हैं और गंगा पुत्र होने के अपने दायित्व को निभाने का एक भी मौका अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहते। काशी का नाम लेते ही नरेंद्र मोदी और मोदी का नाम लेते ही काशी की याद आती है। परस्पर प्यार और उपहार का आदान—प्रदान दोनों ही करते हैं। प्रधानमंत्री पूरे देश में विकास की बात करते हैं लेकिन जब बात बनारस की हो तो वह विकास के साथ बनारस के उल्लास को जोड़ना कभी नहीं नहीं भूलते।
यूं तो वर्ष 1952 से आज तक काशी ने अनेक सांसद दिए लेकिन काशी का विकास पं.कमलापति त्रिपाठी के बाद मोदी युग में ही नजर आया। काशी ने रघुनाथ सिंह, सत्य नारायण सिंह, राजा राम शास्त्री, चंद्रशेखर, कमलापति त्रिपाठी, श्याम लाल यादव, अनिल शास्त्री, श्रीश चंद्र दीक्षित, शंकर प्रसाद जायसवाल, राजेश कुमार मिश्रा और डॉ.मुरली मनोहर जोशी जैसे कद्दावर सांसद दिए लेकिन काशी का जैसा विकास होना चाहिए था, नहीं हो सका। वर्ष 2014 में काशी ने मोदी को चुना या मोदी ने काशी को, यह तय करना आज की तिथि में किसी के लिए भी मुश्किल हो सकता है लेकिन विकास से प्यार करने वालों को इस संबंध पर हर क्षण रस्क होना स्वाभाविक है।
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जब वर्ष 2014 में काशी में मोदी युग आया तब से काशी विकास के क्षेत्र में नित नूतन कीर्तिमान रच रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो काशी को ही साक्षात शिव का स्वरूप मानते हैं। यह बात उन्होंने अपनी अनेक सभाओं में कही भी है। रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर के उद्घाटन अवसर पर भी यह बात कहना वे नहीं भूले। उन्होंने कहा है कि विगत सात साल से काशी का श्रृंगार हो रहा है लेकिन बिना रुद्राक्ष के काशी का श्रृंगार कैसे हो सकता है। अब जब यह रुद्राक्ष काशी ने धारण कर लिया है, तो काशी की शोभा और ज्यादा बढ़ेगी। इससे पता चलता है कि प्रधानमंत्री काशी की महत्ता, उसकी संस्कृति और सभ्यता को लेकर कितने गंभीर हैं। वे जितनी बार काशी आए हैं, उसे विकास की बड़ी सौगात दी है। इस बार भी 1583 करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास कर उन्होंने पूर्वांचल के आर्थिक विकास को मजबूती दी है।
बनारस के हथकरघा उद्योग और मूर्ति शिल्प को मजबूत करने पर तो उन्होंने जोर दिया ही,काशीवासियों की मुक्त कंठ से प्रशंसा करना भी वे नहीं भूले। बनारस के रोम—रोम से गीत—संगीत और कला झरने की बात कहकर उन्होंने एक बार फिर काशीवासियों का दिल जीत लिया है। यहां गंगा के घाटों पर कलाओं के विकास और ज्ञान के शिखर तक पहुंचने की यात्रा का जिक्र कर प्रधानमंत्री ने वाराणसी की गौरव—गरिमा में चार चांद लगा दिया है। बनारस को गीत-संगीत का, धर्म-अध्यात्म का और ज्ञान-विज्ञान का बहुत बड़ा ग्लोबल सेंटर बनाने की बात कर उन्होंने यहां के रहवासियों को उम्मीदों को पंख लगा दिए हैं।
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रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर के लोकार्पण के मौके पर एक बार फिर उन्होंने अपने मन की बात कही है कि भारत और जापान की सोच है कि हमारा विकास हमारे उल्लास के साथ जुड़ा होना चाहिए। यह विकास सर्वतोमुखी होना चाहिए, सबके लिए होना चाहिए और सबको जोड़ने वाला होना चाहिए। प्रधानमंत्री की यह विकास दृष्टि न केवल सराहनीय है बल्कि उनकी भलमानसहत का भी परिचय देती है। विकास की दौड़ में एक भी व्यक्ति का पिछड़ना देश का पिछड़ना है। शरीर का एक भी अंग रुग्ण हो तो उसका असर समस्त शरीरिक ढांचे पर पड़ता है। यही बात विकास के भी साथ है। तभी तो गोपालदास नीरज ने लिखा था कि ‘जलाओ दिये पर रहे ध्यान इतना, अंधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।’ वे विकास के दिए जलाने की बात कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो कई साल से बनारस के घाटों पर दिये जला रहे हैं। दीपोत्सव मना रहे हैं। ऐसे में सबके विकास की उनकी अवधारणा मायने रखती है।
उन्होंने कहा है कि बनारस का मिजाज ऐसा है कि अरसा भले ही लंबा हो जाए, परंतु ये शहर जब मिलता है तो भरपूर रस एक साथ ही भरकर दे देता है। मुश्किल समय में भी काशी ने दिखा दिया है कि वह रुकती नहीं है और वह थकती भी नहीं है। कोरोना काल में वाराणसी समेत समस्त उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य प्रयासों और ऐहतियातों की भी उन्होंने सराहना की। साथ ही, यह भी कहा कि काशी अब पूर्वांचल का चिकित्सा हब बनने जा रही है। हर सांसद अगर अपने संसदीय क्षेत्र के विकास को लेकर इतना प्रयास करे, इतनी ही चिंता करे, अपने क्षेत्र की दिव्यांग खिलाड़ी की इच्छाओं का सम्मान करते हुए शूटिंग रेंज बनवाए और उसका लोकार्पण करे तो देश का सर्वतोमुखी विकास होते देर नहीं लगेगी। नौ मेडिकल कॉलेजों का लोकार्पण तो उन्होंने किया ही, साथ ही यह बताना भी नहीं भूले कि उत्तर प्रदेश के गांवों में स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना हो या राज्य में अस्पतालों का निर्माण, राज्य में चिकित्सा संसाधन में अभूतपूर्व सुधार हो रहा है।
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चार साल पहले तक जहां उत्तर प्रदेश में दर्जन भर मेडिकल कॉलेज हुआ करते थे, अब संख्या के लिहाज से चार गुना हो चुके हैं। बहुत सारे चिकित्सा कॉलेजों का निर्माण हो रहा है। उत्तर प्रदेश में करीब 550 से अधिक ऑक्सीजन संयंत्र बनाने का काम भी तेजी से हो रहा है। ऑक्सीजन और आईसीयू जैसी सुविधाएं निर्मित हो रहे हैं। जिन बीमारियों के इलाज के लिए कभी दिल्ली और मुंबई जाना पड़ता था, उनका इलाज अब काशी में भी उपलब्ध है। विगत सात सात वर्षों की विकास योजनाओं को ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण का आधार बताते हुए प्रधानमंत्री ने पूरे देश को यह संदेश देने की भी कोशिश की है कि उत्तर प्रदेश में सरकार भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद से नहीं, बल्कि विकासवाद से चल रही है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में उन्होंने कहा कि काशी समेत पूरे प्रदेश में जो भी विकास कार्य वे हो रहे हैं, वह बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से हो रहे हैं।
उन्होंने सुस्पष्ट किया कि सड़क, स्वास्थ्य, रेल, बिजली, कृषि, डिफेंस कॉरिडोर, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के विकास से जहां उत्तर प्रदेश में रोजगार सृजन की व्यवस्था मजबूत होगी,वहीं इसके आसपास के गांववासियों का जीवन आसान होगा। पंचकोसी मार्ग का चौड़ीकरण होने से सभी को सुविधा होगी। गोदौलिया में मल्टीलेवल पार्किंग बनने से काशी के लोगों को लाभ मिलेगा। लहरतारा से चौकाघाट फ्लाइओवर के नीचे भी पार्किंग से लेकर अन्य सुविधाओं का काम जल्द पूरा हो जाएगा।
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बनारस को शुद्ध जल के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। हर घर नल जल योजना पर तेजी से काम हो रहा है। उन्होंने कहा है कि 700 से ज्यादा जगहों पर एडवांस कैमरा लगाने, घाटों पर लग रहे सूचना बॉक्स का जिक्र तो उन्होंने किया ही, काशी के इतिहास को आकर्षक बनाने वाली सुविधाएं देने का भी दावा किया। उन्होंने कहा कि एलइडी स्क्रीन लगने से काशीवासी बाबा विश्वनाथ की आरती का प्रसारण पूरे शहर में कहीं से भी देख सकेंगे। डीजल नावों को सीएनजी में बदलने की भी उन्होंने जानकारी दी। इसमें संदेह नहीं कि वाराणसी का दिनों—दिन कायाकल्प हो रहा है।
प्रधानमंत्री की विजन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से काशी अत्यंत तेजी से विकसित हो रही है। प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र होने का भरपूर लाभ काशी को मिल रहा है। काशी देश की सांस्कृतिक राजधानी है, वहां से विकास का संदेश मायने तो रखता ही है। काशी का बढ़ना देश का बढ़ना है, विश्व का बढ़ना है। इसलिए भी काशी को बढ़ना है। अविरल और अनथक बढ़ते रहना है। यही समय की मांग भी है।