नई दिल्ली। दिल्ली व आसपास के जिलों में चल रहे किसान आंदोलन के चलते अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति पूरी न होने का अंदेशा लगाया जा रहा था। आंदोलन के कारण दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन आपूर्ति प्रभावित होने की आशंका को सत्येंद्र जैन ने सिरे से खारिज कर दिया। रविवार को उन्होंने कहा कि दिल्ली के अस्पतालों में अभी ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि दिल्ली में ऑक्सीजन आपूर्ति में फिलहाल कोई बाधा नहीं है। उन्होंने आंदोलनकारी किसानों पर भरोसा जताया कि वे ऑक्सीजन के टैंकर को दिल्ली आने से नहीं रोकेंगे। क्योंकि ऑक्सीजन मरीजों के लिए जीवन रक्षक है।
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वैसे भी दिनों अस्पतालों में कोरोना के गंभीर मरीज अधिक हैं। इनमें से काफी मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। सत्येंद्र जैन ने कहा कि शुक्रवार को अस्पतालों में ऑक्सीजन आपूर्ति कुछ घंटे प्रभावित हुई थी लेकिन दो-तीन घंटे में ही स्थिति सुधर गई थी। मौजूदा समय में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। ऑक्सीजन आपूर्ति को किसी ने रोका भी नहीं है। उम्मीद है कि ऑक्सीजन के टैंकर को कोई रोकेगा भी नहीं। पुलिस को भी नहीं रोकना चाहिए और आनंदोलनकारी तो ऑक्सीजन के टैंकर को रोक हीं नहीं सकते।
सिंधु बॉर्डर बंद होने के मामले पर उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन के टैंकर सिंधु बॉर्डर की तरफ से दिल्ली नहीं आते। ऑक्सीजन राजस्थान व उत्तर प्रदेश से आती है। इसलिए ऑक्सीजन के टैंकर यूपी बॉर्डर व बदरपुर बॉर्डर की तरफ से आते हैं। इसलिए ऑक्सीजन आपूर्ति में कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा कि कोरोना का संक्रमण 15.26 फीसद से घटकर 7.24 फीसद पर आ गई है। इस तरह दिल्ली में अब संक्रमण दर आधे से भी नीचे आ गई है। इसलिए कोरोना का प्रकोप थोड़ा कम हो रहा है।
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केंद्र के वादे के अनुसार नहीं बढ़ी आरटीपीसीआर जांच नहीं क्षमता
उन्होंने आरटीपीसीआर जांच मिलने में हो रही देरी पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने आरटीपीसीआर जांच की क्षमता बढ़ाने के लिए कहा था। आरटीपीसीआर सैंपल अधिक लिए भी जा रहे हैं। लेकिन लैब अभी उतने सैंपल की जांच नहीं कर पा रही हैं जितना केंद्र सरकार ने कहा था। इस वजह से जांच रिपोर्ट मिलने में देरी हो रही है और रिपोर्ट 24 घंटे में नहीं मिल पा रही है। उल्लेखनीय है कि पहले दिल्ली में प्रतिदिन औसतन 17,000 से 18,000 सैंपल की आरटीपीसीआर जांच हो पा रही थी। अब 33 हजार से अधिक सैंपल की आरटीपीसीआर जांच होने लगी है। हालांकि सैंपल इससे अधिक लिए जा रहे हैं।