धर्म डेस्क। हरतालिका तीज के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पतियों की लंबी आयु के लिए व्रत रखती है। यूपी, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाद्रपद महीने की तृतीया तिथि को यह त्योहार मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला रहकर अगले दिन व्रत का पारण करती हैं। सबसे पहले इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। इस व्रत में भगवान शिव-पार्वती के विवाह की कथा सुनी जाती है।
पूजा साम्रगी
- भगवान शिव और पार्वती की मूर्ति रखने के लिए प्लेट
- जिस पर पूजा की जाएगी लकड़ी का पाटा
- लकड़ी के पाटे पर बिछाने के लिए लाल या पीले रंग का कपड़ा
- पूजा के लिए नारियल
- पानी से भरा कलश
- आम के पत्ते
- घी
- दिया
- अगरबत्ती और धूप
- दीप जलाने के लिए देसी घी
- आरती के लिए कपूर
- पान के पत्ते
- सुपारी
- केले
- दक्षिणा
- बेलपत्र
- धतूरा
- शमी की पत्तियां
- जनेऊ
- चंदन
- माता के लिए चुनरी
- सुहाग का सामान
- मेंहदी
- काजल सिंदूर
- चूड़ियां, बिंदी
- गौर बनाने के लिए मिट्टी और पंचामृत