धर्म डेस्क। कहते हैं जिसका सूर्य बलवान होता है उसे हर रोज सुबह के समय सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए। हालांकि, इनके अलावा भी कई लोग आज भी इस परंपरा का पालन करते हैं। लेकिन आजकल बारिश का मौसम है और जब देखो तब बादल छा जाते हैं। ऐसे में कई लोग यह सोचते हैं कि आखिर बादलों में छिपे सूयर्देव के दर्शन कैसे किए जाएं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, अगर सूर्यदेव बादलों में छिपे हैं तो इस स्थिति में व्यक्ति को पूर्व दिशा की तरफ मुंह कर सूर्यदेव का ध्यान करना चाहिए। साथ ही तांबे के लोटे से सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिए। वहीं, हर सुबह सूर्यदेव की प्रतिमा या तस्वीर के दर्शन भी करने चाहिए।
शास्त्रों में पंचदेवो का उल्लेख है। इनमें श्रीगणेश, शिवजी, विष्णुजी, देवी दुर्गा और सूर्य देव शामिल हैं। इनमें से सूर्यदेव ही ऐसे देवता है जो प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देते हैं। अगर व्यक्ति रोज सुबह सूर्यदेव की पूजा करे तो उसका घर-परिवार सुखमय रहता है। साथ ही समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
भविष्य पुराण में ब्राह्मपर्व में सूर्य पूजा से जुड़ी कुछ बातों का वर्णन किया गया है। ब्राह्मपर्व के सौरधर्म में सदाचरण अध्याय के अनुसार, व्यक्ति को हर रोज सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। फिर स्नान के बाद सूर्य की प्रतिमा या तस्वीर के आगे नमन करना चाहिए। अगर हो सके तो सूर्यदेव के मंदिर में दर्शन करने चाहिए। ज्योतिष के अनुसार, सूर्य को नौ ग्रहों का राजा माना गया है। यह सिंह राशि का स्वामी है। सूर्यदेव की संतानें शनिदेव, यमराज और यमुना मानी गई हैं।
इस तरह दें सूर्य को अर्घ्य:
जब भी सूर्य को अर्घ्य दें तो तांबे के लोटे में जल लें। इसी से अर्घ्य दें। रविवार के दिन गुड़ का दान करें। सूर्यदेव को अर्घ्य देते समय सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ भास्कराय नम: आदि मंत्रों का जाप करेंते रहना चाहिए। अगर किसी की कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति ठीक नहीं है तो उसे सूर्य को रोज जल चढ़ाना चाहिए। इससे सूर्य के दोष दूर हो सकते हैं।