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मकर संक्रांति पर्व पर “सामाजिक समरसता में ग्रहों का योगदान” विषय पर संगोष्ठी

Desk by Desk
16/01/2021
in Main Slider, उत्तर प्रदेश, ख़ास खबर, राजनीति, राष्ट्रीय, लखनऊ
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मकर संक्रांति पर्व

मकर संक्रांति पर्व

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान ने शानिवार को लखनऊ स्थित, बी-इन्दिरा नगर कार्यालय में मकर संक्रांति पर्व पर “सामाजिक समरसता में ग्रहों का योगदान” विषय पर व्याख्यान गोष्ठी का आयोजन किया गया। संस्थान के निदेशक पवन कुमार ने कहा कि सामाजिक समरसता को लाने के लिए संस्थान सतत रूप से प्रयत्नशील है। पुराता ग्रन्थों तथा प्राचीन परम्पराओं के माध्यम से समाज में समरसता एवं शुचिता स्थापित की जा सकती है।

गोष्ठी में डाॅ. अनिल पोरवाल लखनऊ विश्वविद्यालय से व डाॅ. विनोद कुमार मिश्र ने अपना व्याख्यान दिया। आमंत्रित वक्ता डाॅ. अनिल पोरवाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति तथा संस्कार पर्व त्यौहार इत्यादि पर पूर्णतयाः आश्रित है। यहां पर्व और त्यौहार कब मनाये जाने चाहिए उसका निर्णय काल विधानक ज्योतिष शास्त्र में ग्रह नक्षत्र तथा ताराओं के माध्यम से किया जाता है।

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इसी का परिणाम है कि सामान्य जनमानस बिना किसी आमंत्रण के विशेष पर्व जैसे मकर संक्रान्ति, पूर्णिमा, अमावस्या इत्यादि में नदियों पवित्र जलाशयों में स्नान हेतु जाता है। डाॅ. विनोद कुमार मिश्र ने कहा कि ग्रहों नक्षत्रों के द्वारा काल के अवयवों को जाना जा सकता है जिसमें त्रुटि से लेकर प्रलय काल तक की गणना की जा सकती है। इसमें इसके अन्तर्गत आधुनिक समय व्यावहारिक काल, घण्टा, मिनट, दिनांक इत्यादि का ज्योतिष शास्त्र से किस प्रकार से सम्बन्ध है। इसको भी जाना जा सकता है क्योंकि काल के बिना मानव सभ्यता का न तो कोई इतिहास पता चल सकता है। न ही कोई भूगोल। कार्यक्रम में उपस्थित वक्ताओं, कर्मचारियों एवं श्रोतागण ने पारम्परिक खिचड़ीभेज का आनन्द लिया।

Tags: Director Pawan Kumarsocial harmonyउत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानबी-इन्दिरा नगर कार्यालयमकर संक्रांति पर्वसामाजिक समरसता में ग्रहों का योगदान
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