अफगानिस्तान के कंधार एयरपोर्ट पर रॉकेट हमले होने की खबरें आ रही हैं। बताया जा रहा है कि तालिबान ने एयरपोर्ट पर तीन रॉकेट हमले किए हैं, जिसके बाद सभी उड़ानों को रद्द कर दिया गया है।
अफगानिस्तान की धरती से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद से ही अफगान सेना और तालिबान के बीच संघर्ष जारी है। बीते कुछ दिनों से तालिबान ने हमले तेज कर दिए हैं। तालिबान अब कंधार पर कब्जा करने की कोशिश में है, जो अब भी काफी हद तक अफगान सेना के नियंत्रण में हैं।
न्यूज एजेंसी AFP ने कंधार एयरपोर्ट के अधिकारियों से हवाले से रॉकेट हमले की पुष्टि की है। एजेंसी ने एयरपोर्ट के चीफ मसूद पश्तून के हवाले से बताया है कि दक्षिणी अफगानिस्तान में स्थित कंधार एयरपोर्ट पर कम से कम तीन रॉकेट हमले किए गए हैं। इन हमलों के बाद एयरपोर्ट से उड़ने वालीं सभी उड़ानों को रद्द कर दिया गया है।
कंधार पर कब्जे की कोशिश में तालिबान
कंधार अभी भी अफगान सरकार के नियंत्रण में है, लेकिन यहां तालिबान तेजी से कब्जा करने की कोशिश कर रहा है। कंधार अफगानिस्तान के महत्वपूर्ण शहरों में से एक है। बीते कुछ दिनों से यहां तालिबान ने हमले तेज कर दिए हैं। रॉकेट हमले हो रहे हैं। मासूम लोगों को मारा जा रहा है। हालात ये हैं कि लोग अपना घर छोड़कर रिफ्यूजी कैम्प में रहने को मजबूर हैं।
सरकार ने कंधार में एक रिफ्यूजी कैम्प बनाया है, जिसमें 11 हजार से ज्यादा परिवार रह रहे हैं। कंधार के सांसद सैयद अहमद सैलाब ने कुछ दिन पहले बताया था कि ईद के बाद तालिबान ने अफगानी फौज पर हमले तेज कर दिए हैं। पूरे कंधार में आम लोग तालिबान और फ़ौज के बीच जारी संघर्ष के बीच फंस गए हैं और हालत ये है कि सैकड़ों गांवों से हज़ारों लोग सुरक्षित ठिकानों की तलाश में घर से भागने को मजबूर हैं।
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अप्रैल 2021 में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सितंबर तक अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी का ऐलान कर दिया था। इसके बाद से ही तालिबान दोबारा एक्टिव हो गया और हमले तेज कर दिए। अफगान फौज पीछे हटते गई और तालिबान का कब्जा बढ़ता चला गया। तालिबान का दावा है कि वो अब तक अफगानिस्तान के 85 फीसदी से ज्यादा इलाके पर कब्जा कर चुका है।
काबुल के बाद अफगानिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर कंधार के कई चेक पोस्ट पर तालिबान कब्जा जमा चुका है। शहर पर कब्जे की लड़ाई तेज है। पाकिस्तान से सटे इलाकों में सभी चेकपोस्ट तालिबान के कब्जे में हैं। ताजिकिस्तान बॉर्डर पर तो तालिबान के हमले के बीच अफगान सैनिकों को भागकर ताजिकिस्तान में शरण तक लेना पड़ा।