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तात्या टोपे के वशंज चला रहे हैं दुकान, तो उधम सिंह के वशंज हैं दिहाड़ी मजदूर

Desk by Desk
15/08/2020
in Main Slider, उत्तर प्रदेश, ख़ास खबर, नई दिल्ली, राजनीति, राष्ट्रीय
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स्वतंत्रता दिवस

स्वतंत्रता दिवस

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नई दिल्ली। देश में जहां शनिवार को 74वां स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाया जा रहा है। तो वहीं दूसरी तरह आजादी की लड़ाई में अपनी जान की बाजी लगा देने वाले स्वतंत्रता सेनानी के वशंज दो वक्त की रोटी के लिए हर दिन जद्दोजहद कर रहे हैं।

इसे सरकार की अनदेखी का नतीजा ही कहेंगे। देश के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर देने वाले शहीद के कुछ वशंज जहां दैनिक मजदूरी कर अपना पेट भर रहे हैं तो कुछ सड़कों पर भीख मांगने को मजबूर हैं।

जलियांवाला बाग नरसंहर का बदला लेने के लिए उधम सिंह 1940 में लंदन गए और पंजाब के तत्कालीन उपराज्यपाल माइकल ओडायर की हत्या कर दी। इस घटना ने अंग्रेजों की नींव हिलाकर रख दी, लेकिन आज उधम सिंह के भांजे के बेटे जीत सिंह पंजाब के संगरूस जिले में दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर हैं।

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इसी तरह 1857 के विद्रोह के नायकों में से एक तात्या टोपे के वंशज हर दिन दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने को मजबूर हैं। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के 73 से अधिक नायकों के वंशजों पर कई किताब लिख चुके पूर्व पत्रकार शिवनाथ झा का कहना है कि मैंने मैंने तात्या के पड़पोते विनायक राव टोपे को बिठूर में एक छोटी सी किराने की दुकान चलाते हुए देखा है।

इसी तरह स्वतंत्रता की लड़ाई में फांसी के फंदे को प्यास से गले लगा लेने वाले शहीद सत्येंद्र नाथ के पड़पोते की पत्नी अनिता बोस की हालत भी बेहद खराब है। मिदनापुर में रहने वाली अनिता दो वक्त की रोटी को मोहताज हैं।

बता दें कि सत्येंद्र नाथ और खुदीराम बोस अलीपुर बम कांड में शामिल थे। दोनों को 1908 में फांसी दे दी गई थी। जिस समय अंग्रेजों ने उन्हें फांसी की सजा दी उस वक्त सत्येंद्र नाथ केवल 26 वर्ष के थे और खुदीराम महज 18 साल के थे।

Tags: freedom fighterindependenceIndiaJallianwala BaghTatya TopeUdham Singhआजादीजलियावाला बाग Independence Dayभारतस्वतंत्रता दिवसस्वतंत्रता सेनानी
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