इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केन्द्रीय मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी को लेकर सोशल मीडिया पर सामुदायिक घृणा फैलाने वाली पोस्ट करने के आरोपी डिग्री कालेज के प्रोफेसर डॉ शहरयार अली को अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया।
बुधवार को कोर्ट ने कहा कि आरोपी याची अपने को कोर्ट में समर्पण कर नियमित जमानत अर्जी दाखिल करे। यदि वह ऐसा करते हैं तो उनकी इस अर्जी को यथाशीघ्र तय किया जाय। यह आदेश जस्टिस जेजे मुनीर ने पारित किया।
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कोर्ट ने कहा कि एक प्रोफेसर, जो इतिहास विभाग का विभागाध्यक्ष है, उसके समुदायों के बीच घृणा फैलाने वाले आचरण के लिए अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती। इसे अभिव्यक्ति की आजादी नहीं माना जा सकता।
याची का कहना था कि मीडिया एकाउंट हैक हो गया था। यह विश्वसनीय नहीं, क्योंकि सह अभियुक्त ह्यूमा कुरैशी ने भी पोस्ट शेयर की है और मीडिया पर एकाउंट हैक होने व माफी मांगने की पोस्ट नहीं है। एकाउंट अभी भी याची चला रहा है। कोर्ट ने अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है।
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अर्जी का एजीए शशि शेखर तिवारी ने विरोध किया और कहा कि जिला मंत्री बीजेपी ने मंत्री के खिलाफ पोस्ट को लेकर फिरोजाबाद के रामगढ़ थाने मे एफ आई आर दर्ज कराई है। एक प्रोफेसर से ऐसी पोस्ट करने की अपेक्षा नहीं की जा सकती। समुदाय के बीच घृणा फैलाने की कोशिश क्षम्य नहीं है। याची अग्रिम जमानत पाने का हकदार नहीं है।