किसानों की आय दोगुनी करने के लिए केंद्र से लेकर प्रदेश सरकारें तक अपने-अपने स्तर पर काम कर रही हैं। इन सबके बीच कई राज्य सरकारें ने फलदार वृक्षों की खेती को प्रोत्साहित करने पर भी जोर दे रही हैं। कुछ राज्य सरकारों इन वृक्षों की खेती पर सब्सिडी देना भी शुरू कर दिया है।
अमरूद की गिनती फलदार वृक्षों में होती है। योगी सरकार ने कौशांबी में अमरूद का सबसे बड़ा सेंटर बनाने का फैसला लिया है। सेंटर के लिए जमीन भी चिन्हित कर ली गई है। अत्याधुनिक अमरूद विकास सेंटर 10 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाएगा। उत्तर प्रदेश बागवानी विभाग के मुताबिक ये सेंटर 2023 में पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा।
इस सेंटर का निर्माण इजरायली वैज्ञानिकों और उनके तकनीकों की भी मदद ली जाएगी। यहां पर देश के सभी वैरायटी के अमरूद के पेड़ उपलब्ध होंगे। साथ ही सेंटर में किसानों के लिए प्रशिक्षण केंद्र की भी स्थापना की जाएगी। वहीं सेंटर का निर्माण और उसकी देखरेख की जिम्मेदारी औद्यानिक प्रयोग प्रशिक्षण केंद्र खुसरोबाग दिया जाएगा।
मिलेंगी ये सुविधाएं
>सेंटर में किसानों को बेहतर पैदावार की बारीकियां बताई जाएंगी।
>सेंटर में किसानों के रुकने का भी व्यवस्था की जाएगी।
>अमरूद के कई वैरायटी के पेड़ों के बारे में दी जाएगी जानकारी।
> अमरूद की खेती की नई तकनीकों से भी किसानों को अवगत कराया जाएगा।
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मुख्य उद्यान विशेषज्ञ कृष्ण मोहन चौधरी बताते हैं कि अमरूद विकास सेंटर में मुख्य रूप से अमरूद की प्रजातियों के उत्पाद पर किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा, लेकिन आम और सब्जियों के लिए भी दो एकड़ में सेंटर बनाया जाना है। इन दोनों सेंटर के निर्माण के लिए इजरायल के वैज्ञानिकों की भी मदद ली जाएगी।
कैसे करें अमरूद की खेती
अमरूद की खेती के लिए वैसे तो हर तरह की मिट्टी अनुकुल होती है। लेकिन अच्छी पैदावार के लिए इसे गहरे तल, अच्छे निकास वाली चिकनी मिट्टी को ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है। खेतों को तैयार करते समय ये जलनिकासी की उचित व्यवस्था रखनी बेहद जरूरी है।
अमरूद के पौधे लगाने के लिए सबसे मुफीद महीना फरवरी-मार्च या अगस्त-सितंबर माना जाता है। पौधा लगाने के दौरान दो पौधों के बीच 6×5 मीटर का फासला जरूर रखें। दो पौधे के बीच इतना अंतर उसके विकास में काफी सहायक होगा।