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दुश्मन की ललकार को सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट जैसा देना होगा जवाब : रक्षा विशेषज्ञ

जम्मू एयरफोर्स स्टेशन जैसी महफूज जगह पर 5 मिनट के अंतराल पर हुए दो धमाकों ने सबको चौंका दिया है। सुरक्षा एजेंसियों पर सवाल उठने के साथ-साथ इस हमले के पीछे कौन है, हमले को कैसे अंजाम दिया गया है इसको लेकर चर्चाएं और जांच शुरू हो गई है। हमले के बाद अंबाला, पठानकोट और अवंतीपुरा बेस को अलर्ट पर रखा गया है। NIA मामले की जांच कर रही है।

जांच एजेंसियों ने फिलहाल ज्यादा कुछ नहीं कहा है, लेकिन जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने इसे सीमा पार की साजिश बताया है। दिलबाग सिंह ने कहा है कि ड्रोन को IED के तौर पर इस्तेमाल किया गया है और हमले करने वाले सीमा के इस पार से ही हैं।

वहीं, रक्षा विशेषज्ञ इस घटना को लेकर काफी आक्रामक हैं। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इसे पाकिस्तान ने ड्रोन के जरिए अंजाम दिया है। साथ ही साथ उनका यह भी कहना है कि यह दुश्मन की तरफ से ललकारने जैसा है, जिसका सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक जैसा जवाब देना होगा।

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न्यूज़ चैनल पर चर्चा में भाग लेत हुए रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल (रिटार्यड) ए के सिवाच ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि हमला पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने करवाया है। वह बोले कि जांच इसकी होनी है कि उन्होंने पाकिस्तान से ही इसे भेजा, या भारत में मौजूद उनसे जुड़े लोगों से इसको असेंबल करवाकर हमला किया।

मेजर जनरल (रिटार्यड) ए के सिवाच ने कहा कि जिस तरह उरी के बाद सर्जिकल स्ट्राइक, पुलवामा के बाद बालाकोट किया गया था, वैसे ही भारत को इसका कोई काउंटर उपाय निकालना होगा, जिससे पाकिस्तान को संदेश जाए।

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रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल (रिटार्यड) ए के सिवाच ने इस तरफ भी इशारा किया कि ड्रोन हो सकता है चीन से खरीदे गए हों। वह बोले कि चीन सबसे ज्यादा और सस्ते ड्रोन बना रहा है। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान ने हाल ही में 30 हजार ड्रोन लिए हैं।

गौरतलब है कि भारत के सैन्य ठिकानों पर इस तरह ड्रोन अटैक का ये पहला मामला बताया जा रहा है। लिहाजा, इस जम्मू एयरफोर्स स्टेशन अटैक को लेकर जांच एजेंसियां काफी संजीदा है। एनआईए और एनएसजी ने मोर्चा संभाल लिया है और घटना की टेरर एंगल से जांच की जा रही है।

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