अयोध्या में राम मंदिर बनाने के संकल्प के साथ बीजेपी के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने सितंबर 1990 में सोमनाथ मंदिर से रथ यात्रा शुरू की थी। उस दौर में ‘बच्चा-बच्चा राम का, जन्मभूमि के काम’ जैसे नारे दिए गए। भले ही आडवाणी की रथ यात्रा अयोध्या नहीं पहुंची हो, लेकिन इसने राम मंदिर के पक्ष में भावना जगाने में अहम भूमिका निभाई।
सोमनाथ मंदिर के प्रमुख पुजारी नानू प्रचक ने कहा, 25 सितंबर 1990 के दिन राम मंदिर का संकल्प आडवाणी ने लिया था। उस समय नरेंद्र मोदी सोमनाथ मंदिर के अंदर मेहमानों की सुविधाओं की व्यवस्था देख रहे थे। लाल कृष्ण आडवाणी ने इस यात्रा को सोमनाथ से अयोध्या तक श्री राम के नाम पर देश को एकजुट करने की यात्रा बताया था। साथ ही इस मौके पर राजमाता विजयाराजे सिंधिया भी मौजूद थीं।
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सोमनाथ ट्रस्ट के ट्रस्टी जेडी परमार ने कहा कि अंतिम समय पर मंदिर के बाहर दिग्विजय द्वार से रथयात्रा का आयोजन करने का निर्णय लिया गया था। सोमनाथ मंदिर प्राचीन काल से भारत के संकल्प की भूमि रही है। मंदिर बनाने का सरदार पटेल का संकल्प भी यहां पूरा हुआ और लाल कृष्ण आडवाणी द्वारा राम मंदिर बनाने का संकल्प भी यहीं से लिया गया था।
उन्होंने कहा कि 1989-90 में वीपी सिंह बीजेपी के समर्थन से भारत के प्रधानमंत्री बने, जो चुनावों में 58 सीटें जीतने में सफल रहे। इसके बाद तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर के लिए समर्थन हासिल करने के लिए देशभर में रथ यात्रा निकालने का फैसला किया था।
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उन्होंने बताया कि राम मंदिर के निर्माण की योजना 1984-85 में शुरू हुई। उस समय प्रयागराज में अशोक सिंघल के निवास पर सभाएं होती थीं। बैठकों के दौरान रज्जू भैया, डॉ मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, सुब्रमण्यम स्वामी, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, विनय कटियार और अन्य नेता व संत मौजूद रहते थे। अशोक सिंघल ने रथ यात्रा के दौरान आडवाणी को अपना पूरा समर्थन दिया, लेकिन ये रथ यात्रा बीच में ही अटक गई। बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने आडवाणी को बिहार के समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया था।