Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

खुल गई रंग बदलने वाली फूलों की घाटी, 500 से अधिक प्रजातियों के पुष्पों का ऐसे करें दीदार

valley of flowers

valley of flowers

गोपेश्वर। आखिरकार दो साल के इंतजार के बाद अब उत्तराखंड स्थित विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी का दीदार देश-विदेश के कर पर्यटक सकेंगे। इससे पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों के चेहरे खिल उठे हैं जो काफी समय से बंद पड़ी इस फूलों की घाटी (valley of flowers) के खुलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।

बुधवार से फूलों की घाटी (valley of flowers) पर्यटकों के लिए खोल दी गयी है। कोरोना काल में घरों में कैद रहने के बाद इस साल चार धाम में जिस तरह से तीर्थयात्रियों का हुजूम उमड़ रहा है, उसे देखते हुए शासन-प्रशासन को उम्मीद है कि इस बार प्रकृति प्रेमी और पर्यटक रिकार्ड संख्या में फूलों की घाटी में पहुंचेगे। इससे न केवल फूलों की घाटी में चहल-पहल बढे़गी अपितु पर्यटन से जुड़े युवाओं और स्थानीय लोगों को भी रोजगार के अवसर मिलेंगे।

आज नंदादेवी राष्ट्रीय पार्क के प्रभागीय वनाधिकारी एनबी शर्मा ने हरी झंडी दिखाकर पर्यटकों को रवाना किया। उन्होंने बताया कि पहले दिन करीब 70 पर्यटक फूलों की घाटी के दीदार करने को पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन 12 बजे दिन तक पर्यटकों को फूलों की घाटी जाने की अनुमति है।

आंकड़ों की नजर में-

वन विभाग की ओर से भी समस्त तैयारी की गयी है। आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो वर्ष 2014 में 484 पर्यटक, वर्ष 2015 में 181, वर्ष 2016 में 6503, वर्ष 2017 में 13752, वर्ष 2018 में 14742 पर्यटक, वर्ष 2019 में 17424 पर्यटकों ने फूलों की घाटी के दीदार किए थे। वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण के कारण 932 पर्यटक ही घाटी में पहुंचे थे जबकि 2021 में कोरोना संक्रमण के कारण एक जुलाई को देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए फूलों की घाटी खोली गई थी और 9404 पर्यटक फूलों की घाटी पहुंचे थे।

फूलों का संसार-

फूल शायद सुंदरता के सबसे पुराने प्रतीक हैं। सभ्यता के किसी बहुत प्राचीन आंगन में जंगल और झाड़ियों के बीच उगे हुए फूल ही होंगे जो इंसान को उस खासे मुश्किल वक्त में राहत देते होंगे। इन फूलों से पहली बार उसने रंग पहचाने होंगे। खुशबू को जाना होगा। पहली बार सौंदर्य का अहसास किया होगा। फूलों की अपनी दुनिया है। वो याद दिलाते हैं कि पर्यावरण के असंतुलन से लगातार धुआंती, काली पड़ती, गरम होती इस दुनिया में फूलों को बचाए रखना जरूरी है।

कब खुलती है फूलों की घाटी (valley of flowers) –

सीमांत जनपद चमोली में मौजूद विश्व धरोहर रंग बदलने वाली फूलों की घाटी (Valley of Flower) को हर साल आवाजाही के लिए एक जून को आम पर्यटकों के लिए खोल दिया जाता है जबकि अक्तूबर अंतिम सप्ताह में 31 अक्तूबर को ये घाटी आवाजाही के लिए बंद हो जाती है।

आरके श्रीवास्तव ने UPSC में सफलता पाने वाले अमन आकाश को बताया रियल हीरो

कहां है फूलों की घाटी (valley of flowers)-

उत्तराखंड के चमोली जिले में पवित्र हेमकुंड साहब मार्ग स्थित फूलों की घाटी को उसकी प्राकृतिक खूबसूरती और जैविक विविधता के कारण 2005 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया। 87.5 वर्ग किलोमीटर में फैली फूलों की ये घाटी न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। फूलों की घाटी में दुनियाभर में पाए जाने वाले फूलों की 500 से अधिक प्रजातियां मौजूद हैं। हर साल देश विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं। यह घाटी आज भी शोधकर्ताओं के आकर्षण का केंद्र है। नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान और फूलों की घाटी सम्मिलित रूप से विश्व धरोहर स्थल घोषित हैं।

पर्वतारोही फ्रैंक स्माइथ ने की थी खोज-

फूलों की घाटी की खोजने का श्रेय फ्रैंक स्मिथ को जाता है। जब वह 1931 में कामेट पर्वत के अभियान से लौट रहे थे, तब रास्ता भटकने के बाद 16700 फीट ऊंचे दर्रे को पार कर भ्यूंडार घाटी में पहुंचे और उन्होंने यहां मौजूद फूलों की इस घाटी को देखा तो यहां मौजूद असंख्य प्रजातियों के फूलों की सुंदरता को देखकर वो आश्चर्यचकित होकर रह गये। फूलों की इस घाटी का आकर्षण फ्रैंक स्मिथ को दोबारा 1937 में यहां खींच लाया। उन्होंने यहां के फूलों पर गहन अध्ययन-शोध किया और 300 से अधिक फूलों की प्रजातियों के बारे में जानकारी एकत्रित की। इसके बाद फ्रैंक स्मिथ ने1938 में फूलों की घाटी में मौजूद फूलों पर वैली ऑफ फ्लावर नाम की एक किताब प्रकाशित की। इसके बाद दुनिया ने पहली बार फूलों की इस घाटी के बारे में जाना था, जिसके बाद से आज तक इस घाटी के फूलों का आकर्षण हर किसी को अपनी ओर खींचता है। फ्रैंक स्मिथ इस फूलों की घाटी से किस्म के बीज अपने देश ले गये थे।

राजस्थान बोर्ड 12वीं का रिजल्ट जारी, ऐसे से करें डाउनलोड

मार्गेट लेगी की कब्र

वर्ष 1938 में विश्व के मानचित्र पर फूलों की घाटी के छा जाने के बाद 1939 में क्यू बोटेनिकल गार्डन लन्दन की ओर से जाॅन मार्गरेट लेगी, जिनका जन्म 21 फरवरी 1885 को हुआ था। वह 54 वर्ष की उम्र में इस घाटी में मौजूद 500 से अधिक प्रजाति के फूलों का अध्ययन करने के लिए आई थीं। इसी दौरान अध्ययन करते समय दुर्भाग्यवश फूलों को चुनते हुए चार जुलाई 1939 को एक ढालधार पहाड़ी से गिरते हुए उनकी मौत हो गई और वह फूलों की इस घाटी में सदा-सदा के लिए चिरनिंद्रा में सो गईं। जॉन मार्गेट लेगी की याद में यहां पर एक स्मारक बनाया गया है जो बरबस ही घाटी में घूमने पर लेगी की याद दिलाती है। जो भी पर्यटक यहां घूमने आता है, वह लेगी के स्मारक पर फूलों के श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि देना नहीं भूलता है।

पांच सौ से अधिक प्रजाति के यहां हैं फूल-

फूलों की घाटी में तीन सौ प्रजाति के फूल अलग-अलग समय पर खिलते हैं। यहां जैव विविधता का खजाना है। यहां पर उगने वाले फूलों में पोटोटिला, प्राइमिला, एनिमोन, एरिसीमा, एमोनाइटम, ब्लू पॉपी, मार्स मेरी गोल्ड, ब्रह्म कमल, फैन कमल जैसे कई फूल यहाँ खिले रहते हैं। घाटी मे दुर्लभ प्रजाति के जीव जंतु, वनस्पति, जड़ी बूटियों का है संसार बसता है।

KK के होंठ-सिर पर चोट के निशान, अननैचुरल डेथ का केस दर्ज

हर 15 दिन में रंग बदलती है ये घाटी-

फूलों की घाटी में जुलाई से अक्टूबर के मध्य 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। खास बात यह है कि हर 15 दिन में अलग-अलग प्रजाति के रंग-बिरंगे फूल खिलने से घाटी का रंग भी बदल जाता है। यह ऐसा सम्मोहन है, जिसमें हर कोई कैद होना चाहता है।

कैसे पहुंचे और कब आएं फूलों की घाटी (valley of flowers)-

फूलों की घाटी (valley of flowers) पहुंचने के लिए सड़क मार्ग से गोविंदघाट तक पहुंचा जा सकता है। यहां से 14 किलोमीटर की दूरी पर घांघरिया है, जिसकी ऊंचाई 3050 मीटर है। यहां लक्ष्मण गंगा पुलिया से बायीं तरफ तीन किमी की दूरी पर फूलों की घाटी है। फूलों की घाटी एक जून से 31 अक्टूबर तक खुली रहती है। मगर यहां पर जुलाई प्रथम सप्ताह से अक्टूबर तृतीय सप्ताह तक कई फूल खिले रहते हैं। यहां तितलियों का भी संसार है। इस घाटी में कस्तूरी मृग, मोनाल, हिमालय का काला भालू, गुलदार, हिमतेंदुआ भी दिखता है।

Exit mobile version