शादी (Marriage) को जीवन में एक अहम पड़ाव माना जाता है और ज्योतिष के मुताबिक, शादी के बाद पति-पत्नी के ग्रहों की स्थिति भी जीवन में कई बड़े बदलाव लेकर आती है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिनकी शादीशुदा जिंदगी (Married Life) काफी दुखदायी हो जाती है। उज्जैन के पंडित विनोद चौकसे यहां बता रहे हैं कि कुंडली में किन दोषों के कारण दांपत्य जीवन में परेशानी आती है।
गुरु पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव
पंडित चौकसे के मुताबिक, यदि किसी स्त्री की जन्म कुंडली में गुरु पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो या सप्तमेश पाप ग्रहों से युति का निर्माण होता है तो दांपत्य जीवन (Married Life) में कठिनाई आती है। इसके अलावा कुंडली के सप्तम भाव पर सूर्य, शनि व राहु की दृष्टि हो तो भी महिला के जीवन में दाम्पत्य सुख नहीं होता है।
द्वादश भाव पर अशुभ ग्रहों का साया
यदि कुंडली में द्वादश भाव पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो और शुक्र पीड़ित व निर्बल अवस्था में तो भी व्यक्ति को दाम्पत्य सुख प्राप्त नहीं होता है। किसी भी महिला की जन्म कुंडली में गुरु को पति का कारक माना गया है।
कुंडली का द्वादश भाव शैय्या सुख का भाव होता है। पंडित चौकसे के मुताबिक, सूर्य, शनि, राहु अलगाववादी स्वभाव वाले ग्रह हैं और मंगल व केतु मरणात्मक स्वभाव वाले ग्रह। ये सभी ग्रह दाम्पत्य-सुख के लिए हानिकारक माने जाते हैं।