वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया 10 मई को आ रही है। अक्षत तृतीया (Akshaya Tritiya) को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है, इस दिन बिना मुहूर्त के भी विवाह की मान्यता है।
इस बार अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) के दिन गुरु व शुक्र का तारा अस्त होने से विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होंगे। विवाह के शुद्ध व शुभ मुहूर्त के लिए जुलाई तक इंतजार करना होगा।
ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला ने बताया विवाह के लिए गुरु व शुक्र के तारे का उदित होना आवश्यक है। इन दोनों में से किसी एक के भी अस्त रहने पर विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है, इस दिन बिना मुहूर्त के भी युवक-युवतियों का विवाह कराया जाता है। लेकिन इसके लिए भी गुरु व शुक्र के तारे का उदित होना आवश्यक है।
9 जुलाई से शुरू होंगे विवाह
गुरु व शुक्र का तारा उदित होने के बाद 9 जुलाई से एक बार फिर विवाह समारोह की धूम शुरू होगी। जुलाई में क्रमशः 9 ,11, 12, 13 व 15 जुलाई विवाह की तारीख हैं। इनमें अपने चंद्र बल व गुरु बल की गणना से विवाह के लिए तारीख का चयन किया जा सकता है। 17 जुलाई से चातुर्मास, चार माह इंतजार करना होगा पंचांगीय गणना के अनुसार 17 जुलाई को देव शयनी एकादशी है।
इस दिन से भगवान विष्णु राजा बलि का आतिथ्य स्वीकार करते हुए चार माह पाताल लोक में निवास करेंगे। यह समय पृथ्वी पर चातुर्मास के रूप में जाना जाएगा। इस दौरान चार माह विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होंगे।
श्रद्धालु जप,तप, नियम का पालन करते हुए धर्म अध्यात्म में रमेंगे। दीपावली के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देव उत्थापनी एकादशी से विवाह आदि शुरू होंगे।