कोटा। शिक्षा नगरी कोटा में सोमवार को अलग- अलग स्थानों पर कोचिंग करने वाले तीन विद्यार्थियों ने आत्महत्या (Suicide) कर ली। इस घटना से प्रवेश परीक्षाओं एवं 12वीं बोर्ड परीक्षा की अंतिम तैयार कर रहे हजारों कोचिंग विद्यार्थी स्तब्ध रह गये।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, दो हॉस्टल में रहने वाले तीन विद्यार्थियों ने अपने कमरे में कोई सुसाइड नोट नहीं छोडा है। पुलिस अधीक्षक शहर केसर सिंह शेखावत ने कहा कि जांच के बाद पता चलेगा कि ऐसा क्या कारण रहा, जिससे उन्हें सुसाइड करना पड़ा।
बताया गया कि तलवंडी में कृष्ण कुंज पीजी हॉस्टल के दूसरे तल पर 7 माह से रहने वाले बिहार के दो विद्यार्थी 17 वर्षीय अंकुश यादव और उज्ज्वल ने सोमवार को अपने कमरे में पंखे से लटकर अपनी जान दे दी। अंकुश कोटा के प्रमुख कोचिंग संस्थान से नीट की तैयारी कर रहा था, जबकि उज्ज्वल जेईई-मेन व एडवांस्ड के लिए कोचिंग ले रहा था। दोनों राधाकृष्ण मंदिर के पास एक हॉस्टल में रहते थे।
अंकुश के दोस्त प्रिंस ने बताया कि वे दोनों साथ खाना खाते थे। सोमवार सुबह 11 बजे उसने अंकुश को कई बार फोन किया लेकिन उसने कॉल नहीं उठाया तो वह दोस्त के साथ उसके हॉस्टल पहुंचा। उसके कमरा अंदर से लॉक था, खिडकी से देखा तो वह फंदे पर लटका हुआ मिला। हॉस्टल संचालक ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। प्रिंस ने बताया कि 15 दिन पहले अंकुश घर से लौटा था। दीवाली से पहले वह स्कूटी से गिरा था। वह अपनी गर्लफ्रेंड से फोन पर बात करता रहता था।
एसपी शेखावत ने बताया कि अंकुश के शव को पंखे से उतारने के बाद जब हॉस्टल के अन्य कमरों की जांच की गई तो एक अन्य कमरे में उज्ज्वल भी पंखे से लटका मिला। छात्र उज्ज्वल की सुसाइड की सूचना मिलते ही उसकी बहिन हॉस्टल पहुंची, वह भी कोटा में कोचिंग ले रही है। अपने भाई को देख वह बिलख-बिलख कर रो पडी।
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इसी तरह, कुन्हाडी में रहने वाले तीसरे कोचिंग छात्र प्रणव वर्मा (17) ने भी सोमवार को अपने कमरे में पंखे पर लटकर अपनी जान दे दी। वह लैंडमार्क सिटी स्थित प्रमुख कोचिंग संस्थान से नीट की तैयारी कर रहा था। अपने किशोर बेटे के शव को देख शिवपुरी से कोटा पहुंचे, परिजन कुछ भी बोल पाने की स्थिति में नहीं थे। तीन कोचिंग विद्यार्थियों ने एक ही दिन में अचानक आत्महत्या कर लेने से कोचिंग विद्यार्थी, शिक्षक एवं नागरिक स्तब्ध रह गये।
मॉनिटरिंग एजेंसी बनाने की मांग-
शहर के शिक्षाविदों का कहना है कि कोचिंग विद्यार्थियों के निरंतर आत्महत्या करने की बढ़ती घटनाएं एक चुनौती है। राज्य सरकार को एक मॉनिटरिंग एजेंसी बनाकर बाहरी राज्यों के सभी विद्यार्थियों की सुरक्षा व निगरानी पर ध्यान देना होगा, अन्यथा बाहर से आने वाले बच्चों और उनके अभिभावकों को यह चिंता सताने लगेगी कि उनका बच्चा कोटा जाने पर सुरक्षित रहेगा या नहीं। जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, हॉस्टल संचालक, कोचिंग संस्थान सभी को मिलकर इसकी जिम्मेदारी तय करनी होगी।