साल 2021 का आखिरी प्रदोष व्रत (Last Pradosh Vrat) कल 31 दिसंबर दिन शुक्रवार को है। यह प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन होने के कारण शुक्र प्रदोष व्रत (Shukra Pradosh Vrat) है।
शुक्र प्रदोष व्रत करने से जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त होती है। जो लोग प्रदोष व्रत रखते हैं, वे शाम के समय पूजा मुहूर्त में शिवलिंग की विशेष पूजा अर्चना करते हैं। हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष काल में भगवान शिव (Lord Shiva) प्रसन्न होकर नृत्य करते हैं, इसलिए उनको पूजा के माध्यम से प्रसन्न किया जा सकता है। इस वजह से प्रदोष व्रत का महत्व होता है। आइए जानते हैं प्रदोष व्रत एवं पूजा विधि के बारे में।
प्रदोष व्रत एवं पूजा विधि
1) प्रदोष व्रत के एक दिन पूर्व से ही तामसिक भोजनों का त्याग कर देना चाहिए। मन, तन और वचन से शुद्ध होना चाहिए।
2) प्रदोष व्रत को प्रात:काल में स्नान आदि करके निवृत हो जाएं और फिर साफ कपड़े पहन लें। उसके बाद हाथ में जल लेकर प्रदोष व्रत एवं शिव पूजा का संकल्प करें।
3) इसके बाद दैनिक पूजा करें। इसमें भगवान शिव की भी आराधना कर लें। दिनभर फलाहार करें और भक्ति भजन करें।
4) प्रदोष व्रत के दिन पूजा मुहूर्त शाम को 05:35 बजे से रात 08:19 बजे तक है। इस समय में आप किसी शिव मंदिर में जाएं या फिर घर पर ही भगवान शिव को गंगाजल और गाय के दूध से अभिषेक करें।
5) इसके बाद उनको सफेद चंदन लगाएं। फिर बेलपत्र, भांग, धतूरा, फूल, फल, शहद, धूप, दीप, गंध, वस्त्र आदि अर्पित करें। इस दौरान ओम नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते रहें। अब शिव चालीसा और प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें। फिर अंत में भगवान शिव का घी के दीपक या कपूर से आरती करें।
6) पूजा समापन के अंत में जिस भी मनोकामना से आपने व्रत रखा है, वह भगवान शिव के समक्ष व्यक्त कर दें। फिर दान दक्षिणा दें। यदि आप रात में ही पारण करते हैं, तो पारण करके व्रत को पूरा करें। अगले दिन पारण करते हैं, तो अगले दिन सुबह स्नान आदि के बाद पारण कर लें।