मुंबई। बॉलीवुड डाइरेक्टर संजय लीला भंसाली की प्रोडक्शन कंपनी में बनी फिल्मों को अक्सर आलीशान सेट और बड़े स्केल से जोड़कर देखा जाता है। हालांकि उनके प्रोडक्शन में पिछले दिनों मलाल जैसी फिल्म बनी थी, जिसके सेट और कहानी साधारण थी। ट्यूजडेज एंड फ्राइडेज फिल्म की कहानी भी साधारण है। कहानी शुरू होती है मुंबई से जो लंदन तक पहुंचती है।
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लेखक वरुण सरीन (अनमोल ठकेरिया ढिल्लो) अपनी प्रसिद्ध किताब के फिल्ममेकिंग राइट्स को लेकर वकील सिया मल्होत्रा (जटालिका मल्होत्रा) से मिलता है। कहानी लंदन पहुंचती है, जहां सिया अपनी मां डॉ. राधिका मल्होत्रा (निक्की वालिया) की शादी में पहुंचती है। वहां एक कॉफी हाउस में वरुण और सिया फिर मिलते हैं। वरुण और सिया दोनों का ही परिवार बिखरा हुआ है। दोनों के ही पिता परिवार के साथ नहीं रहते हैं। इस वजह से दोनों को रिश्तों में बहुत ज्यादा भरोसा नहीं है। वरुण का मानना है कि हर रिश्ते की एक्सपायरी डेट होती है। सिया वरुण को पसंद करने लग जाती है। एक्सपायरी डेट में यकीन करने वाले वरुण के लिए वह एक प्लान बनाती है कि दोनों हफ्ते में सिर्फ ट्यूजडेज (मंगलवार) और फ्राइडेज (शुक्रवार) को मिलेंगे। अगर कुछ वक्त बाद लगा कि वह साथ नहीं रहते हैं तो बिना कोई सवाल पूछे अलग हो जाएंगे।
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निर्देशक तरनवीर सिंह की बतौर निर्देशक यह पहली फिल्म है। फिल्म की कहानी भी उन्होंने ही लिखी है। कहानी साधारण है, लेकिन हफ्ते में दो दिन मिलने वाला कॉन्सेप्ट प्रेम कहानी में नया है। हालांकि कहानी के अंत का अंदाजा दर्शक पहले ही लगा लेंगे। प्रेम कहानी में हर मूमेंट को खास बनाना मुश्किल होता है, उसमें भले ही तरनवीर चूक गए हों, लेकिन पहली फिल्म के मुताबिक उनकी कोशिश अच्छी थी। 50 की उम्र में मां की शादी के लिए बेटी का हां करना उस रूढ़ीवादी सोच पर प्रहार करता है, जहां शादी को उम्र में बांध दिया जाता है।
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हालांकि इस ट्रैक को तरनवीर बहुत ज्यादा दिखा नहीं पाए। कुछ कमियां पटकथा में खटकती हैं, जैसे वरुण की मां का रिश्ता टूटने की वजह हल्की लगती है, कॉफी शॉप की खाला का ट्रैक कहानी में बेमानी सा लगता है। प्रेम कहानी की जान उसके गाने होते हैं, लेकिन ऐसा कोई गाना नहीं जो याद रह जाए। अभिनेत्री पूनम ढिल्लो के बेटे अनमोल ठकेरिया ढिल्लो और जटालिका मल्होत्रा ने इस फिल्म से डेब्यू किया है। पहली फिल्म के मुताबिक दोनों ही कलाकारों का अभिनय सराहनीय है। फिल्म के डायलॉग्स, जैसे- प्यार कभी हंड्रेड परसेंट खुशियों की गारंटी के साथ नहीं आता, पर होता ऐसे ही है दिल खोल के, तोल मोल के नहीं होता, जब दिल टूटता है ना तो लाइफ के सबसे खूबसूरत रिश्ते हम पहचान नहीं पाते हैं पारंपरिक प्रेम कहानी के एहसास को बनाए रखते हैं।
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