उत्तर प्रदेश के दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध दो महाविद्यालय खुलने जा रहे हैं। इसका प्रबंधन और संचालन विश्वविद्यालय खुद ही करेगा। इन महाविद्यालयों को विश्वविद्यालय के संघटक महाविद्यालय का दर्जा प्राप्त होगा। ये महाविद्यालय कुशीनगर और देवरिया में खोले जाएंगे।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस संबंध में कार्ययोजना तैयार करनी शुरू कर दी है। कुशीनगर के रामकोला, बरडीहा में बने राजकीय महाविद्यालय को संघटक महाविद्यालय के रूप में तब्दील करने का निर्णय लिया जा चुका है। देवरिया में भी जल्द एक राजकीय महाविद्यालय को चुना जाएगा।
दरअसल, शासन ने प्रदेश के 13 राज्य विश्वविद्यालयों के कार्यक्षेत्र में दो-दो संघटक महाविद्यालय खोले जाने का निर्णय लिया है। आधारभूत संरचना के तौर पर शासन नवनिर्मित व निर्माणाधीन राजकीय महाविद्यालय विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंपने जा रहा है। दिशा-निर्देश के मुताबिक यह महाविद्यालय विश्वविद्यालय की परिनियमावली के मुताबिक संचालित किए जाएंगे।
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महाविद्यालय का संपूर्ण प्रशासकीय, वित्तीय और शैक्षणिक नियंत्रण विश्वविद्यालय के हाथों में होगा। महाविद्यालय के पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय के परिनियमों के अंतर्गत संचालित होंगे। परीक्षा से लेकर डिग्री देने तक की व्यवस्था भी विश्वविद्यालय ही करेगा।
संघटक महाविद्यालय में चलाए जाने वाले सभी पाठ्यक्रम स्व-वित्तपोषित योजना के तहत संचालित होंगे। इनमें नियुक्त होने वाले सभी शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारी राज्य सरकार के कर्मचारी नहीं होंगे। उनका वित्त-पोषण स्व-वित्तपोषित व्यवस्था के तहत विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा ही किया जाएगा। कुशीनगर में विज्ञान, देवरिया में कला संकाय के कोर्स होंगे।
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विश्वविद्यालय ने इन महाविद्यालयों के संचालन को लेकर प्राथमिक कार्ययोजना तैयार की है। जिसके तहत कुशीनगर के महाविद्यालय में विज्ञान से जुड़े रोजगारपरक पाठ्यक्रम जबकि देवरिया के महाविद्यालय में कला संकाय से जुड़े पाठ्यक्रम संचालित होंगे। विश्वविद्यालय की ओर प्रस्तावित कई नए रोजगार पाठ्यक्रम इन महाविद्यालयों में संचालित किए जा सकते हैं।
गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने कहा कि संघटक महाविद्यालयों के संचालन की कार्ययोजना शासन की ओर से मांगी गई है। कार्ययोजना तैयार करने का कार्य शुरू कर दिया गया है। जल्द इसे शासन को भेजा जाएगा। दोनों ही महाविद्यालयों से बाजार की मांग के मुताबिक रोजगारपरक पाठ्यक्रम चलाए जाएंगे।