लखनऊ। बुंदेलखंड की 13 सीटों (up election) में से ज्यादातर पर भाजपा (BJP) और सपा (SP) के बीच ही मुकाबला है। कुछ सीटों पर जरूर बसपा (BSP) और कांग्रेस (Congress) भी टक्कर दे रही हैं। सपा ने इस बार बुंदेलखंड में साइकिल दौड़ाने के लिए हर संभव कोशिश की है। खुद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने यहां दो दौरे किए हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी यहां कुशवाहा वोटों में सेंधमारी के लिए सभाएं कर रहे हैं। पिछड़ा वर्ग और दलितों को अपने साथ लेने के लिए हरसंभव कोशिश की गई है। वहीं, भाजपा भी फिर से भगवा फहराने के लिए जी जान से जुटी है।
चुनाव की तिथियां घोषित होने से पहले 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झांसी और महोबा में सभाएं की थीं। गृहमंत्री अमित शाह ने भी 13 फरवरी को झांसी, बबीना और मऊरानीपुर के दौरे किए। ब्राह्मण मतदाताओं को साधने के लिए मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा गांव-गांव घूम रहे हैं। वहीं, मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और झांसी से सांसद रह चुकीं उमा भारती ने लोधी वोटों को भाजपा के पक्ष में खड़ा करने के लिए गरौठा, बबीना और ललितपुर विधानसभा में सभाएं कीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 16 फरवरी को हमीरपुर, महोबा और ललितपुर में जनसभाएं कीं और झांसी में रोड शो किया। 17 फरवरी को झांसी की बबीना और गरौठा विधानसभा में अपने संबोधन में सरकार की उपलब्धियां बताते हुए पार्टी प्रत्याशियों के लिए वोट मांगे। जालौन के माधोगढ़ और कालपी विधानसभा में सभाएं कीं।
झांसी : हर सीट का अपना रोमांच
यहां की सभी चार सीटों को जीतकर भाजपा ने पिछली बार भगवा परचम लहराया था। लिहाजा इस चुनाव में भाजपा ने टिकटों में कोई बदलाव नहीं किया। झांसी सदर सीट से रवि शर्मा को फिर मैदान में उतारा। वहीं, सपा ने कुशवाहा वोट को देखते हुए सीताराम कुशवाहा पर दांव लगाया है। जबकि, बसपा ने साहू समाज के जातीय समीकरण को देखते हुए कैलाश साहू को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने ब्राह्मण वोट को आधार बनाकर राहुल रिछारिया को अपने योद्धा के रूप में झांसी के सियासी रण में उतारा है।
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वहीं, बबीना से भाजपा के राजीव सिंह पारीछा इस बार फिर मैदान में हैं। उनका सीधा मुकाबला सपा के यशपाल सिंह यादव से है। लेकिन, इस बार बसपा भी यहां दम भर रही है। बसपा से दशरथ सिंह राजपूत मैदान में ताल ठोक रहे हैं। वे लोधी मतदाताओं के ध्रुवीकरण में जुटे हुए हैं, जबकि पिछले चुनाव में लोधी वोटर भाजपा के साथ था। कांग्रेस ने ब्राह्मणों को साधते हुए चंद्रशेखर तिवारी को मैदान में उतारा है। उधर, गरौठा से भाजपा के जवाहर लाल राजपूत और सपा के दीपनारायण सिंह यादव के बीच आमने-सामने लड़ाई है। लोधी और यादव वोटों की बहुलता के चलते दोनों के बीच मुकाबला दिलचस्प बना हुआ है। दोनों ही प्रत्याशी अन्य समाजों के लोगों को साधने में जुटे हुए हैं। वहीं, बसपा से वीर सिंह गुर्जर मैदान में ताल ठोक रहे हैं। जबकि, कांग्रेस से जिला पंचायत सदस्य नेहा संजीव निरंजन मैदान में हैं।
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इधर, अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित मऊरानीपुर सीट पर सपा से तिलक चंद्र अहिरवार मैदान में हैं। जबकि, भाजपा के सहयोगी दल अपना दल (एस) से डॉ. रश्मि आर्य मैदान में उतरी हैं। निर्णायक मुकाबला इन्हीं दोनों के बीच माना जा रहा है। वहीं बसपा से रोहित रतन चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि, कांग्रेस से भगवानदास कोरी मैदान में हैं।
ललितपुर का प्रश्नपत्र छुड़ाएगा सबका पसीना
ललितपुर की दोनों विधानसभा सीटों पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला नजर आ रहा है। सदर सीट से भाजपा, बसपा और सपा अपनी-अपनी ताकत दिखा रहे हैं। इस सीट पर कुशवाहा समाज के वोटों की बहुलता के चलते भाजपा और सपा दोनों दलों ने कुशवाहा जाति के प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। इससे मुकाबला रोचक हो गया है। भाजपा से रामरतन कुशवाहा एक बार फिर मैदान में हैं, जबकि सपा से रमेश कुशवाहा ताल ठोक रहे हैं। वहीं, बसपा ने क्षत्रिय वोटों को अपने पाले में लाने के लिए चंद्रभूषण सिंह बुंदेला (गुड्डू राजा) को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस से बलवंत सिंह राजपूत मैदान में हैं। सभी की नजर अपने-अपने समाज के वोटों के अलावा जैन समाज के रुख पर भी टिकी हुई है। संख्या अधिक होने की वजह से यहां जैन समाज का वोट निर्णायक माना जाता है।
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वहीं, महरौनी आरक्षित सीट पर भी त्रिकोणीय संघर्ष माना जा रहा है। यहां भाजपा ने राज्यमंत्री मनोहर लाल पंथ पर एक बार फिर भरोसा जताया। बसपा से किरन खटीक और सपा से रामविलास रजक मैदान में हैं। कांग्रेस से पूर्व सांसद बृजलाल खाबरी चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर अहिरवार समाज का खासा वोट बैंक है। सभी इस समाज को अपने पाले में खींचने की जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं।
जालौन : हर सीट पर अलग-अलग रंग, कालपी : निराला है अंदाज
यमुना किनारे बसे प्रचीन नगर कालपी की सीट का मुकाबला इस बार रोमांचक है। यह बुंदेलखंड की शायद अकेली ऐसी सीट होगी, जहां मुकाबला चतुष्कोणीय है। यहां भाजपा के सहयोगी निषाद पार्टी ने वर्ष 2007 में बसपा से विधायक रह चुके छोटे सिंह को टिकट दिया है। वहीं सपा ने वर्ष 2007 में उरई से कांग्रेस विधायक रहे विनोद चतुर्वेदी पर दांव लगाया है। बसपा से यहां श्याम सिंह पाल उर्फ छुन्ना पाल उम्मीदवार हैं और उनका यह पहला चुनाव है। वहीं चौथी उम्मीदवार कांग्रेस की उमाकांती सिंह भी वर्ष 2012 में कालपी से विधायक रह चुकी हैं। तीन पूर्व विधायकों के उतरने से यहां सबकी नजर है। बसपा ने पिछड़ा व दलित समीकरण के जरिए चुनाव काे रोमांचक मोड़ पर ला दिया है।
माधौगढ़ : कदम-कदम पर यहां का अलग है मिजाज
कभी दस्यु प्रभावित रहे बीहड़ के इलाकों से जुड़ी माधौगढ़ सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला है। भाजपा ने अपने विधायक मूल चंद निरंजन पर फिर से भरोसा जताया है। वहीं बसपा ने कालपी की तरह यहां भी क्षेत्र में अच्छी संख्या वाले पिछड़ा वर्ग के कुशवाहा मतदाताओं में से शीतल कुशवाहा को टिकट दिया है। साथ ही अपने परंपरागत दलित वोट के समर्थन से सीट हासिल करने की उम्मीद में है। हालांकि क्षत्रिय वोट यहां भी अच्छी संख्या में होने व सपा से राघवेंद्र प्रताप सिंह को प्रत्याशी बनाए जाने से उनकी स्थिति भी मजबूत बतायी जा रही है। ऊमरी गांव में दुकान के बाहर बैठे लोगों ने कहा कि अगर ठाकुर एकजुट हुए तो सपा को जीत मिल सकती है। वहीं वर्तमान विधायक मूलचंद निरंजन का खेमा भाजपा के मद्दों पर जीत की आस में हैं। कांग्रेस ने सिद्धार्थ दिवोलिया के रूप में ब्राह्मण वर्ग का प्रत्याशी उतारा है।
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उरई : भाजपा-सपा में मुख्य लड़ाई
जालौन जिले के मुख्यालय उरई की सीट पर भाजपा व सपा में मुख्य मुकाबला बताया जा रहा है। यहां भाजपा ने वर्तमान विधायक गौरी शंकर वर्मा को फिर उम्मीदवार बनाया है। वहीं, सपा ने दयाशंकर वर्मा को मैदान में उतारा है। सपा ने यहां दयाशंकर को टिकट देकर फिर बदलते हुए महेंद्र कठेरिया को उम्मीदवार बना दिया था। बाद में वापस दयाशंकर को टिकट दे दिया। इस पर दयाशंकर को आंसू न रोक पाने वाला वाीडियो भी वायरल हुआ था। सपा के टिकट वितरण में इस बदलाव को लोग चुनाव प्रभावित करने वाला बता रहे हैं। यहां कांग्रेस से उर्मिला सोनकर व बसपा से सतेंद्र प्रताप उर्फ श्रीपाल प्रत्याशी हैं। इस सीट पर एससी वोटर की संख्या अच्छी है।
हमीरपुर में विधानसभा की दो सीटें…दोनों के समीकरण अलग-अलग
हमीरपुर जिले की दोनों सीटें इस समय भाजपा के कब्जे में हैं। इनमें पहली हमीरपुर सीट पर भाजपा ने सपा के बागी मनोज प्रजापति को टिकट दिया है। इन्हें सपा के रामप्रकाश प्रजापति चुनौती दे रहे हैं। वहीं कांग्रेस ने पूर्व विधायक व सांसद अशोक चंदेल की पत्नी राजकुमारी चंदेल को टिकट देकर मुकाबला त्रिकोणीय कर दिया है। यहां बसपा से रामफूल निषाद मैदान में हैं। जिले की दूसरी राठ सीट का चुनाव भी सुर्खियों में है। यहां भाजपा ने विधायक मनीषा अनुरागी पर फिर भरोसा जताया है। उन्हें सपा से जिम ट्रेनर चंद्रवती सीधी टक्कर दे रही हैं। चंद्रवती पिछले दिनों डांस वीडियो वायरल होने पर चर्चा में रही हैं। हालांकि सपा ने यहां पहले गयादीन अनुरागी को टिकट दिया था और फिर बदलकर नये चेहरे को उतार दिया। इससे यहां एक खेमे में नाराजगी भी है। यहां कांग्रेस से कमलेश कुमार वर्मा व बसपा से प्रसन्न भूषण मैदान में हैं।
महोबा : भाजपा के सामने सीटें बचाए रखने की चुनौती
महोबा जिले में आल्हा-ऊदल की नगरी पान उत्पादन के लिए प्रचलित महोबा व प्राचीन नगरी चरखारी के नाम पर दो सीटें हैं। इन दोनों में भाजपा का कब्जा है। महोबा में इस बार भाजपा से विधायक राकेश गोस्वामी फिर मैदान में हैं। उनके मुकाबले सपा ने मनोज तिवारी को उतारा है। दोनों में मुकाबला होने की बात कही जा रही है। वहीं, तीसरे बसपा से उतरे प्रत्याशी संजय साहू हैं। इन्होंने मुकाबला त्रिकोणीय कर दिया है। कारण ये सपा से टिकट न पा सके क्षेत्र के पुराने नेता सिद्ध गोपाल साहू के भाई हैं। सिद्धगोपाल की नाराजगी सपा को नुकसान कर सकती है। वहीं कांग्रेस से सागर सिंह मैदान में हैं। दूसरी लोध बाहुल्य चरखारी सीट पर भी भाजपा ने अपने वर्तमान विधायक बृजभूषण राजपूत को फिर से उम्मीदवार बनाया है। सांसद व विधायक रहे गंगाचरण राजपूत के बेठे बृजभूषण को सपा उम्मीदवार रामसजीवन टक्कर दे रहे हैं। हालांकि सपा में यहां भी टिकट वितरण को लेकर सवाल उठ चुके हैं। पहले यहां सपा ने अजेंद्र सिंह राजपूत को टिकट दिया था फिर रामसजीवन यादव को दे दिया। इससे एक खेमे में नाराजगी भी है। वहीं बसपा से विनोद राजपूत के उतरने से लोध वोट में सेंध लगने की बात कही जा रही है। ऐसे में चुनाव रोचक होगा। यहां कांग्रेस से निर्दोष दीक्षित हैं।