वाराणसी। दोपावली का त्योहार बेहद अनोखा होता है। खासतौर पर बच्चों को ये दिन काफी पसंद होता है। दिवाली का त्योहार बच्चों के लिए किसी खेल से कम नहीं होता। रिस्क के बावजूद इस मौके पर उन्हें आतिशबाजी में कुछ ज्यादा ही मजा आता है। लेकिन बढ़ते प्रदूषण की वजह से कई जगहों पर पटाखों पर बैन लगा दिया गया है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के वाराणसी के एक बच्चे ने बच्चों के लिए अनोखा पटाखा बनाया है। जिसमें न ही कोई खतरा है और न ही इससे प्रदूषण होता है।
जानकारी के अनुसार वाराणसी के सक्षम स्कूल में 7वीं क्लास में पढ़ने वाली छात्रा अपेक्षा पटेल ने इस नायाब खिलौने को इजाद किया है। उन्होंने एक अनोखा दीया है बनाया है, जो रोशनी के साथ आतिशबाजी का भी भरपूर आनंद देता है। अपेक्षा ने दिवाली के लिए ये इनोवेटिव दीपक मिट्टी से तैयार किया है। ये दीया प्रदूषण रहित है, क्योंकि ये सोलर पैनल से चार्ज होने पर जलता है।
सोलर पैनल से चार्ज होगा दीया
ये दीया प्रदूषण रहित है, क्योंकि यह सोलर पैनल से चार्ज होने पर जलता है। वैसे इसे तेल से भी जलाया जा सकता है। अपेक्षा ने अपने इस अनोखे दीए का नाम चार्जेबल प्रदूषण रहित पटाखा रखा है। क्लास 7 में पढ़ने वाली बच्ची द्वारा बनाया गया ये प्रदूषण रहित थ्री इन वन पटाखे वाला दीया इस समय बनारस में काफी चर्चा में है। छात्रा ने इस मिट्टी के स्मार्ट दिये में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया है कि ये रोशनी के साथ-साथ पटाखे जैसे तेज आवाज भी करते है। ये रिमोट से जलता है, जिसमें सेंसर लगाया गया है और दीये के सामने आते ही तेज पटाखे जैसा आवाज करता है।
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पटाखे की तरह करेगा तेज आवाज
वहीं, अपेक्षा ने बताया कि पटाखे के धुंए के कारण प्रदूषण बहुत फैलता था, इसी कारण यह स्मार्ट प्रदूषण रहित पटाखा दीया बनाया है। इसे दीए को मिट्टी और कुछ उपकरणों को जोड़कर बनाया गया है। इसमें खिलौने का रिमोर्ट इसमें इस्तेमाल किया है। दीया सोलर से चार्ज हो जाता है। पटाखे के आनंद के लिए एक इलेक्ट्रिानिक सर्किट लगा है। जो रिमोट दबाते ही पटाखे की आवाज करने लगता है। एक बार में 450 बार ये पटाखा आवाज करता है।
छात्रा ने 12 दिन में तैयार किया दिया
तीन घंटे चार्ज होंने पर 4-5 दिनों तक चलेगा। स्पार्क पटाखा कई सालों तक चलाया जा सकता है। छात्रा अपेक्षा पटेल ने मेक इन इंडिया फामूर्ला के तहत अपने इस शानदार दिये का नाम प्रदूषण रहित दिवाली गैजेट दिया है। उन्होंने बताया कि प्रदूषण रहित स्मार्ट दिये बनाने में 12 दिन का समय लगा है और इसमें 350 रुपये का खर्च आया है। वाराणसी के सक्षम स्कूल की संस्थापिका का कहना है कि, उनके विद्यालय में बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ इनोवेशन के क्षेत्र में विशेष ध्यान दिया जाता है। इसके लिए स्कूल में जूनियर कलाम इनोवेशन लैब की स्थापना की गई है। इस लैब में बच्चे नए आईडिया को साकार करते हैं।