सनातन धर्म में वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) का बड़ा महत्व है। सुहागिन इस दिन कठिन व्रत का पालन करते हुए वट वृक्ष की पूजा-अर्चना कर जल अर्पित करती हैं। इस साल छह जून को यह व्रत रखा जाएगा। न्यायधानी में इसे लेकर जोर-शोर से तैयारी चल रही है।
न्यायधानी में सुहागिन महिलाएं इस व्रत (Vat Savitri Vrat) को पूरे विधि-विधान से करती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्यवती होने का का वरदान प्राप्त होता है। यह व्रत महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। इसके अलावा, कुछ जगहों पर कुंवारी कन्याएं भी मनचाहा वर पाने के लिए इस व्रत (Vat Savitri Vrat) का पालन करती हैं।
ऐसे करें पूजा
– सुबह स्नान करके टोकरी में सप्त धान्य एवं ब्रह्मा-विष्णु की फोटो रखें। दूसरी टोकरी में सत्यवान एवं सावित्री की फोटो रखकर वटवृक्ष के नीचे पूजा करें।
– पूजा के पश्चात वट वृक्ष पर कच्चा सूत लपेटकर 7, 11, 21 और अधिकतम 108 बार परिक्रमा लगाएं।
– सावित्री सत्यवान की कथा सुनकर दक्षिणा अपित करें।
– वट सावित्री पूजन में बांस की पंखी, लाल, पीला धागा, धूपबत्ती, फल, फूल, मिठाई, कलश, सिंदूर, लाल कपड़ा रखें।
– पति की लंबी आयु के लिए कच्चा सूत लेकर उसमें 11 गांठें लगाकर पति-पत्नी दोनो भगवान शिव और माता पार्वती को अर्पित करें।
इन बातों का रखें ध्यान
– काले, नीले रंग के कपड़े ना पहनें।
– पूजा करते समय लाल या पीले रंग की साड़ी पहनें।
– वट वृक्ष की टहनी न तोड़ें
– वट वृक्ष की उल्टी परिक्रमा नहीं करें
– परिक्रमा करते समय महिलाओं का पैर आपस में न टकराए
– काली चूड़ियां न पहनें, सोलह श्रृंगार करके पूजा करें
– पति-पत्नी आपस में झगड़ा न करें, बुजुर्गों से आशीर्वाद लें
– गर्भवती महिला पूजा करें लेकिन परिक्रमा न करें
– कथा पूरी सुनें
– पूजा में घी का दीपक दाएं रखें और तेल का दीपक बाएं रखें
– पूजा सामग्री की थाल बाएं रखें
– 12 पत्तलों में सत्यवान-सावित्री का नाम लिखें
– बेसन का बड़ा, चनादाल का भोग लगाएं