नवरात्रि (Navratri) के पावन दिनों में कलश स्थापना के साथ ही जवारों (जौ) को बोया जाता है। इन्हें मां दुर्गा का प्रसाद माना जाता है। पूरे नौ दिनों तक इनकी विशेष देखरेख की जाती है और पूजा-अर्चना के बाद नवमी या दशमी को इन्हें सम्मानपूर्वक विसर्जित या स्थापित किया जाता है। जवारों का संबंध सीधे-सीधे संपन्नता और शुभ फल से है। आइए विस्तार से जानें कि नवरात्रि के बाद उगे जवारों का क्या करना चाहिए और तिजोरी में रखने का क्या महत्व है।
नवरात्रि (Navratri) में जवारों का महत्व
– जवारों को बोना नए जीवन और समृद्धि का प्रतीक है।
– इनकी हरियाली सुख, शांति और उन्नति का सूचक मानी जाती है।
– जवारों की बढ़त देखकर पूरे वर्ष की कृषि और घर की उन्नति का अनुमान लगाया जाता है।
– मां दुर्गा के आशीर्वाद का प्रतीक माने जाने वाले जवारों को प्रसाद रूप में ग्रहण करना शुभ होता है।
नवरात्रि (Navratri) के बाद जवारों का क्या करें?
– तिजोरी या धन स्थान पर रखें
– जवारों को सुखाकर या पवित्र वस्त्र में बांधकर तिजोरी में रखने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
– यह लक्ष्मी कृपा को आकर्षित करता है और घर में बरकत बनी रहती है।
– खेत या गमले में विसर्जित करें
– जिन्हें तिजोरी में नहीं रखना चाहते, वे जवारों को किसी पवित्र स्थान, पीपल के पेड़, गंगा या किसी नदी-तालाब में प्रवाहित कर सकते हैं।
– घर के आंगन या गमले में मिट्टी में दबाकर भी स्थापित करना शुभ है।
– माथे पर तिलक करें
– परिवार के सदस्य इन जवारों को तिलक लगाकर आशीर्वाद स्वरूप अपने पास रखते हैं।
– यह रोग-शोक से रक्षा और सकारात्मक ऊर्जा का वाहक माना जाता है।
तिजोरी में जवारों को रखने का महत्व
– जवारों को मां दुर्गा का प्रसाद मानकर तिजोरी में रखने से लक्ष्मी स्थायी रूप से घर में निवास करती हैं।
– इससे घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती।
– जवारों की ऊर्जा से तिजोरी में रखे धन की वृद्धि होती है और घर के सदस्य निरोग रहते हैं।
– यह परंपरा घर में धन, सुख और समृद्धि बनाए रखने का शुभ उपाय मानी जाती है।
विशेष सावधानियां
– जवारों को विसर्जन या तिजोरी में रखते समय श्रद्धा और शुद्धता का ध्यान रखें।
– इन्हें कभी भी अपवित्र स्थान पर न डालें।
– तिजोरी में रखने के बाद समय-समय पर साफ-सफाई और लक्ष्मी पूजन करते रहें।