आश्विन पूर्णिमा की पूर्णिमा का दिन बहुत ही विशेष माना जाता है। इसी दिन शरद पूर्णिमा भी मनाई जाती है। साथ ही महर्षि वाल्मीकि की जयंती (Valmiki Jayanti) भी मनाई जाती है। महर्षि वाल्मीकि रामायण के रचयिता माने जाते हैं। रामायण भगावान श्री राम के जीवन पर आधारित महाकाव्य है। ग्रंथों में उनके जीवन और ज्ञान से जुड़ी कई बातें मिलती हैं। साहित्य और अध्यात्म में उनके योगदान ने उन्हें एक प्रिय व्यक्ति बना दिया है।
वाल्मीकि जयंती (Valmiki Jayanti) पर महर्षि का ध्यान करना चाहिए और इस दिन भगवान राम की विधिवत पूजा का विधान हिंदू धर्म शास्त्रों में किया गया है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वाल्मीकि जयंती पर विधिवत भगवान श्रीराम की पूजा करने से घर में सुख और शांति बनी रहती है। साथ ही घर में बरकत आती है। आइए जानते हैं कि इस दिन किस विधि से भगवान राम की पूजा करनी चाहिए।
वाल्मीकि जयंती (Valmiki Jayanti) पर ऐसे करें श्री राम की पूजा
वाल्मीकि जयंती (Valmiki Jayanti) के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। घर के मंदिर या पूजा स्थान की अच्छी तरह सफाई करें। फिर वहां लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर भगावन श्रीराम की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित कर लें।
भगवान की मूर्ति या तस्वीर को गंगाजल से शुद्ध कर लें। भगवान राम को पीले वस्त्र पहनाएं।
चंदन, रोली, फूल और अक्षत से उनकी पूजा करें। घी का दीपक जलाएं। मिठाई, केसर-भात, खीर और पंचामृत का भोग लगाएं।
रामायण या रामचरितमानस के पाठ करें। भगवान के मंत्रों का जाप करें। आरती कर पूजा का समापन करें। इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करें।