चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri) के दूसरे दिन जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) की पूजा की जाती है। साथ ही मनोकामना पूर्ति के लिए इस दिन मां के निमित्त व्रत भी रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से सभी शुभ कार्यों में सफलता मिलती है। शास्त्रों में मां ब्रह्मचारिणी की महिमा के बारे में विस्तार से बताया गया है। अगर आप भी मां ब्रह्मचारिणी की कृपा पाना चाहते हैं, तो इस विधि-विधान से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करनी चाहिए। आइए, जानते हैं कि मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप कैसा है।
मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) का स्वरूप
सनातन शास्त्रों में निहित है कि नवरात्र के दूसरे दिन साधक का मन स्वाधिष्ठान चक्र में स्थिर होता है। मां की महिमा अनोखी है। उनके चेहरे पर एक दीप्तिमान आभा दिखाई देती है। इससे सारा संसार जगमगा उठता है।
मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) के एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में कमंडल है। मां की पूजा करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है। इसलिए मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान की देवी भी कहा जाता है।
मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) पूजा विधि
नवरात्र के दूसरे दिन ब्रह्म बेला में उठें। मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप को प्रणाम करके दिन की शुरुआत करें। इसके बाद घर की साफ-सफाई करें। अपने दैनिक कार्य समाप्त करने के बाद गंगा जल मिश्रित जल से स्नान करें। इस समय आचमन करके स्वयं को शुद्ध कर लें। इसके बाद नए वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
अब फल, फूल, धूप, दीप, हल्दी, चंदन, कुमकुम आदि से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें। मां ब्रह्मचारिणी को चीनी और मिश्री से बनी मिठाई बहुत पसंद है। उन्हें लाल फल, चीनी और मिश्री का भोग लगाएं। पूजा के अंत में आरती करें और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें। पूरे दिन निराहार रहें। शाम को आरती करें और फलाहार करें।