सनातन धर्म में सीता नवमी (Sita Navami) की बहुत ही शुभ माना जाता है। यह पर्व देश भर में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह रामनवमी के एक बाद मनाई जाती है। इस जानकी जयंती के नाम से भी जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन माता सीता धरती पर अवतरित हुई थी। माता सीता को जानकी, मैथिली, सिया आदि नामों से भी जाना जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना करती हैं।
सीता नवमी (Sita Navami) तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की शुरुआत 5 मई को सुबह 7 बजकर 35 मिनट पर होगी। वहीं तिथि का समापन अगले दिन 6 मई को सुबह 8 बजकर 38 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, इस साल सीता नवमी का व्रत 5 अप्रैल को रखा जाएगा।
सीता नवमी (Sita Navami) पर पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, जानकी जयंती के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त की शुरुआत सुबह 10 बजकर 58 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। इस दौरान भक्तों को कुल 2 घंटे 40 मिनट का समय मिलेगा।
सीता नवमी (Sita Navami) पूजा विधि
सीता नवमी (Sita Navami) के दिन पूजा करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करके वहां रंगोली बनाएं और फूलों से सजाएं। फिर माता सीता, श्री राम, लक्ष्मण और हनुमान जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। उसके बाद हाथ में जल, चावल और फूल लेकर व्रत का संकल्प लें। एक तांबे या मिट्टी के कलश में जल भरकर आम के पत्ते लगाएं और उसके ऊपर नारियल रखें और कलश के चारों ओर मौली बांधें। उसके बाद दीपक और धूप जलाकर देवी सीता का आवाहन करें। “ॐ श्री सीतायै नमः” मंत्र का जाप करें और पुष्प अर्पित करें। फिर माता सीता की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं और फिर शुद्ध जल से साफ करें। माता सीता की प्रतिमा को सुंदर वस्त्र, आभूषण और फूलों से सजाएं। चंदन, कुमकुम, हल्दी, अक्षत, पुष्प, फल, और नैवेद्य अर्पित करें। उसके बाद सीता नवमी की कथा पढ़ें और आरती कर पूजा संपन्न करें।
सीता जी की आरती
आरती श्री जनक दुलारी की ,
सीता जी रघुवर प्यारी की ||
आरती श्री जनक दुलारी की ,
सीता जी रघुवर प्यारी की ||
जगत जननी जग की विस्तारिणी,
नित्य सत्य साकेत विहारिणी ,
परम दयामयी दिनोधारिणी,
सीता मैय्या भक्तन हितकारी की ||
आरती श्री जनक दुलारी की ,
सीता जी रघुवर प्यारी की ||
श्री शिरोमणि पति हित कारिणी ,
पति सेवा वित्र वन वन चारिणी,
पति हित पति वियोग स्वीकारिणी ,
त्याग धर्म मूर्ति धरी की
आरती श्री जनक दुलारी की ,
सीता जी रघुवर प्यारी की ||
विमल कीर्ति सब लोकन छाई ,
नाम लेत पवन मति आई ,
सुमिरत काटत कष्ट दुःख दाई ,
शरणागत जन भय हरी की ,
आरती श्री जनक दुलारी की ,
सीता जी रघुवर प्यारी की ||
आरती श्री जनक दुलारी की ,
सीता जी रघुवर प्यारी की ||
सीता नवमी (Sita Navami) का महत्व
हिंदू धर्म में राम नवमी के तरह सीता नवमी को भी बहुत महत्व पूर्ण माना जाता है। खास यह दिन विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान राम और माता सीता की पूजा करने के साथ व्रत का पालन करने वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। वहीं माता सीता को पूजा में दिन श्रृंगार की सभी सामग्री अर्पित करने से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है।