प्रयागराज| रेलवे में सीधी नौकरी की आस देख रहे युवाओं को झटका लगा है। ग्रुप डी में बंग्ला खलासी के पद पर होने वाली भर्ती अब नहीं होगी। रेलवे बोर्ड की ओर से इस पद पर भर्ती रोकने का आदेश दिया गया है। हालांकि जोनल रेलवे से इस पद पर भर्ती का एक रिव्यू मांगा गया है। ऐसे में अब इस पद पर भर्ती होने की संभावना लगभग खत्म हो चुकी है।
दिल्ली विश्वविद्यालय में आरक्षित प्रतिनिधियों की अनिवार्यता खत्म करने पर रोष
बंग्ला खलासी ऐसा पद है जिस पर सीधी भर्ती हो जाती थी। ऐसे युवा जो शैक्षणिक योग्यता पूरी करते थे, उन्हें जूनियर ग्रेड अधिकारी तक को अपने बंग्ले पर नियुक्त करने का अधिकार होता था। कर्मचारियों को पांच साल की नौकरी अधिकारी के साथ करनी होती थी, बाद में उसे नियमित कर दिया जाता था। इस दौरान भर्ती होने वाले युवा को नौकरी के पहले दिन से वेतन उतना ही मिलता था जो नियमित कर्मचारी को मिलता है। साथ ही एक निश्चित अवधि पूरी होने के बाद स्थायी नियुक्ति का लाभ मिल जाता था। तमाम युवा इसी आस में अफसरों के घरों में काम करते थे। इस भर्ती के तहत आने वाले युवाओं को ग्रुप डी की भर्ती परीक्षाओं से नहीं गुजरना होता था। ज्यादातर ऐसे कर्मचारी पूरी नौकरी अधिकारियों के बंग्ले पर गुजार देते थे। कई बार नियुक्ति नियमित होने पर आगे विभागीय कार्यवाही के बाद उन्हें प्रमोशन मिल जाता था। सीपीआरओ अजीत सिंह का कहना है कि मामले पर रेलवे बोर्ड ने जोनल रेलवे से विचार मांगे हैं। एक जुलाई के बाद जो भी भर्ती इस पद पर हुई है उस पर रिव्यू कर विचार मांगे हैं। जिस पर विचार कर रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
बीएड प्रवेश परीक्षा में 8 फुट की दूरी पर बैठकर परीक्षा देंगे अभ्यर्थी
अधिकारियों के बंगले पर काम करने वाले ट्रैकमैन, कीमैन जैसे तमाम कर्मचारियों को ड्यूटी पर वापस लगाने को लेकर रेलवे बोर्ड ने एक बार फिर कमर कसी है। दरअसल, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल, कमर्शियल, परिचालन समेत तमाम अधिकारियों के बंगलों पर उनसे जुड़े चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी तैनात हैं। बोर्ड को लगातार इसकी शिकायत मिल रही है। इसको लेकर रेलवे बोर्ड ने एक बार फिर इसकी जांच के निर्देश जारी किए हैं। हालांकि, इससे पहले भी रेल अधिकारियों से शपथपत्र भरवाए गए थे लेकिन अभी भी लखनऊ मंडल में उत्तर और पूर्वोत्तर रेलवे के अफसरों के घरों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की तैनाती हो रखी है।