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फार्मा उत्पादन आधारित इंसेंटिव स्कीम का दायरा बढ़ाने पर काम में तेजी

Desk by Desk
05/08/2020
in ख़ास खबर, राष्ट्रीय
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pharma sector

फार्मा सेक्टर

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार आने वाले दिनों में फार्मा क्षेत्र के लिए चलाई जा रही उत्पादन आधारित इंसेंटिव स्कीम का दायरा बढ़ाने पर तेजी से काम कर रही है। सूत्रों के मुताबिक आने वाले दो से तीन महीने में इसमें दवाओं के एक्सीपियंट यानि पूरक पदार्थों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भी इंसेटिव देने का ऐलान किया जा सकता है। मौजूदा आंकड़ों के हिसाब से देश में एक्सीपियंट्स का करीब 70 फीसदी आयात करना पड़ता है।

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सरकार का इरादा है इन उत्पादों को लेकर चीन की निर्भरता खत्म करने देश को आत्मनिर्भर बनाना है। ऐसे में जो कंपनियां इनका उत्पादन करने से जुड़ी अपनी क्षमता बढ़ाएंगी या फिर नए प्लांट लगाएंगी उन्हें इंसेंटिव दिया जा सकता है। एक्सीपियंट्स में ही दवाओं के कच्चे माल एपीआई यानि एक्टिव फार्मास्युटिकल्स इंग्रीडिएंट्स को मिलाकर टैबलेट या फिर कैप्सूल समेत तमाम तरह से दवाओं का उत्पादन किया जाता है।

इसके लिए कई तरह दूसरे कच्चेमाल की भी जरूरत होती है, जिसमें स्टार्च, लैक्टोज, माल्टोज, ग्लूसिटॉल और मिनिरल्स प्रमुख होते हैं। यही नहीं कई तरह की सिरप में एल्कोहल समेत दवा से जुड़े दूसरे चीजों का भी इस्तेमाल किया जाता है। इन्हीं एक्सीपियंट्स में दवा का डोज मिलाकर टैबलेट, कैप्सूल, सिरप या फिर इंजेक्शन तैयार किया जाता है जो सीधा जरूरतमंद व्यक्ति को दिया जा सकता है। सरकार ने पिछले ही महीने फार्मा क्षेत्र के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड स्कीम का ऐलान किया है। इस स्कीम के साथ ही सरकार ने ये भी संकेत दे दिए थे कि आने वाले सालों में धीरे धीरे करके दूसरे देशों से आयात को एक दायरे में सिमटाना है।

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डिपार्टमेंट ऑफ फार्मा की योजना है कि 70 फीसदी से ज्यादा माल भारतीय उत्पादकों से ही खरीदा जाए ताकि देश के उद्योग को बढ़ावा मिले। और धीरे धीरे पूरी तरह से आयात निर्भरता खत्म कर दी जाए। देश की जरूरत के मुताबिक माल यहीं बन पाए इसके लिए सरकार मौजूदा स्कीम की अगले दो से तीन महीने में समीक्षा करके उसका दायरा बढ़ाने की तैयारी में है।

Tags: boycott chinadepartment of pharmapharma sectorPharmaceutical ingredientsself-reliant Indiaआत्म निर्भर भारतडिपार्टमेंट ऑफ फार्माफार्मा सेक्टरफार्मास्युटिकल्स इंग्रीडिएंट्सबॉयकॉट चाइना
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