चुनाव आयोग से राजनीतिक दलों की मुलाकात के मामले में कांग्रेस की अंदरूनी कलह सार्वजनिक हो गई है। प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्र को पत्र लिखकर कहा है कि मंगलवार को उनसे मिलने वाला कांग्रेस का शिष्टमंडल पार्टी की ओर से अधिकृत नहीं था। जबकि मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय की सूची में शामिल ओंकार नाथ सिंह, वीरेंद्र मदान और अनस खान ने ही कांग्रेस पार्टी का पक्ष रखा था।
दूसरी तरफ, ओंकार नाथ सिंह ने आहत होकर पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। मंगलवार को केंद्रीय चुनाव आयोग की टीम ने विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी। कांग्रेस की तरफ से इन तीनों नेताओं ने पार्टी का पक्ष रखा लेकिन बुधवार को इसमें नाटकीय मोड़ तब आ गया जब प्रदेश अध्यक्ष ने इस प्रतिनिधिमंडल को ही अनधिकृत करार दे दिया।
आयुक्त को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि 30 दिसंबर को पार्टी की ओर से अधिकृत शिष्टमंडल उनसे मुलाकात करना चाहता है। जिसमें उनके अलावा आराधना मिश्र मोना, पूर्व सांसद प्रमोद तिवारी व पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी शामिल रहेंगे। नियमानुसार चुनाव आयोग जब राजनीतिक दलों से मुलाकात करता है तो पार्टी कार्यालयों से प्रतिनिधिमंडल में शामिल अधिकृत लोगों के नाम भेजे जाते हैं और आयोग उन्हीं लोगों से मिलता है जिनके नाम उसके पास आते हैं। कांग्रेस नेताओं के मुताबिक, ये नेता लंबे समय से चुनाव आयोग की बैठकों में जा रहे थे। ऐसे में इस तरह का आरोप समझ से परे हैं।
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मीडिया व कम्युनिकेशन विभाग के सदस्य ओंकार नाथ ने सभी पदों से इस्तीफा देते हुए यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी को पत्र लिखा है। उन्होंने लिखा है कि निर्वाचन आयुक्त की बैठक में मुझे, वीरेंद्र मदान व अनस को अधिकृत किया गया। चुनाव आयोग से हमारे पास फोन आया तब हम वहां गए। बैठक में जाने से पहले वरिष्ठ नेता सतीश आजमानी व प्रदेश अध्यक्ष से मैंने पार्टी के स्टैंड को लेकर चर्चा भी की।
प्रदेश अध्यक्ष ने हमें कोई पार्टी लाइन नहीं दी और कहा कि पहले उन्हें कहने दीजिएगा। मैंने आयोग को जो ज्ञापन सौंपा उसे सतीश आजमानी को दिखाया और सुधार करवाया। इसके बाद पार्टी प्रदेश अध्यक्ष का यह बयान अपमानजनक है। उन्होंने कहा कि मेरी यूपी सरकार से कोई निजी दुश्मनी नहीं है और न ही अपर मुख्य सचिव गृह से कोई नाराजगी है। मैंने तो पार्टी हित में ही यह बात लिखी थी।