नई दिल्ली| बंगाल के सिलिगुड़ी जैसे छोटे से शहर से निकलकर ऋचा घोष (Richa Ghosh) ने 18 साल की उम्र में ही वनडे वर्ल्ड कप (ODI world cup) के लिए टीम इंडिया(Team india )में अपनी जगह पक्की की। टीम इंडिया (Team india ) में बतौर विकेटकीपर शामिल ऋचा ने वर्ल्ड कप (world cup) से पहले न्यूजीलैंड के खिलाफ चौथे वनडे मैच में सबसे तेज हाफ सेंचुरी बनाने का रिकॉर्ड कायम किया था। उन्होंने 26 गेंदों पर फिफ्टी पूरी की थी। ऋचा ने 14 साल पुराने रुमेली धर के बनाए रिकॉर्ड को तोड़ा। धर ने 2008 में 28 गेंदों पर श्रीलंका के खिलाफ अपनी फिफ्टी पूरी की थी।
ऋचा (Richa Ghosh) का वर्ल्ड कप तक का सफर भी काफी कठिनाइयों भरा रहा। छोटे से शहर से यहां तक पहुंचने में उनके पिता मानवेंद्र घोष को काफी त्याग करना पड़ा। आइए उनके पिता से ही जानते हैं कि टीम इंडिया के सफर में ऋचा (Richa Ghosh) और उन्हें किन परेशानियों का सामना करना पड़ा। मैं भी क्लब स्तर पर क्रिकेट खेलता हूं। मैं अपने क्लब में अभ्यास के लिए जाता था, तो 4 साल की उम्र से ही ऋचा (Richa Ghosh) मेरे साथ जाती थी। वहां पर कई पेरंट्स अपने बच्चों को क्रिकेट की ट्रेनिंग दिलाने के लिए लाते थे। ऋचा भी धीरे-धीरे उन बच्चों के साथ खेलने लगी। हालांकि, मैं चाहता था कि वह टेबल टेनिस खेले। चूंकि लड़कियों की क्रिकेट एकेडमी हमारे शहर में नहीं थी। इसलिए मैंने टेबल टेनिस एकेडमी में एडमिशन करवा दिया पर ऋचा का वहां मन नहीं लगा। फिर एक दिन मुझसे कहा कि मैं क्रिकेट ही खेलना चाहती हूं। कुछ दिन तक मैं उसे क्लब में लेकर गया, जब मुझे लगा कि यह क्रिकेट में ही कुछ करना चाहती है, तो मैंने कोलकाता में लेकर जाकर ट्रेनिंग करने का फैसला किया।
T20: 3-0 की क्लीन स्वीप के साथ टीम इंडिया की विश्व रिकॉर्ड जीत
कोलकाता में भी लड़कियां लड़कों के साथ ही ट्रेनिंग करती थी। जब बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन का कैंप लगता था, तब तो ऋचा अन्य लड़कियों के साथ कैंप में रहती थी। उस समय मुझे उसकी सुरक्षा को लेकर चिंता नहीं होती थी, लेकिन कैंप नहीं होने पर उसकी सुरक्षा को लेकर चिंतित था। इसलिए मैंने अपना बिजनेस छोड़कर उसके साथ ही कोलकाता में रहने लगा। जबकि मेरी पत्नी बड़ी बेटी के साथ सिलिगुड़ी में रहती थीं। कुछ सालों तक मुझे अपना बिजनेस बंद करना पड़ा। अब जब वह टीम इंडिया में सिलेक्ट हो चुकी है तो मैं फिर से अपने बिजनेस पर ध्यान दे रहा हूं। जब मैं कोलकाता में रहता था, तो मैं बंगाल के घरेलू टूर्नामेंट में पार्ट टाइम अंपायरिंग भी करना शुरू कर दिया था।
ऋचा (Richa Ghosh) शुरू से ही विकेटकीपिंग और बल्लेबाजी करती थी। वह हमारे लोकल आइकन टीम इंडिया के विकेटकीपर बल्लेबाज ऋद्धिमान साहा से प्रभावित है। उनसे प्रेरित होकर ही वह विकेटकीपर बल्लेबाज बनना चाहती थी, पर जब वह घरेलू टूर्नामेंट के लिए सीनियर्स टीम के कैंप में गई, तो वहां पर कोच की सलाह पर वह गेंदबाजी करने लगी। उसका घरेलू टूर्नामेंट में सिलेक्शन ऑलराउंडर के तौर पर ही हुआ। वह कई मैचों में बंगाल के लिए बॉलिंग भी कर चुकी है। 2020 में टी-20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया में उसका सिलेक्शन हुआ, तब वह घरेलू टूर्नामेंट में गेंदबाजी भी करती थी, लेकिन टीम इंडिया में शामिल होने के बाद वह फिर से विकेटकीपर की भूमिका में लौट आई।
वन डे के बाद T20 में टीम इंडिया ने वेस्टइंडीज को किया 3-0 से क्लीन स्वीप
पहले की तुलना में विमेंस क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ी है, लेकिन अब भी विमेंस एकेडमी की कमी है। पेरेंट्स के सामने सबसे बड़ी चुनौती सुरक्षा को लेकर होती है। लड़कियों को ट्रेनिंग लड़कों के साथ ही करनी पड़ती है। वहीं, छोटे शहरों में आज भी बुनियादी ढांचे की कमी है। ऐसे में छोटे शहरों के पेरेंट्स को बेटी को क्रिकेट सिखाने के लिए काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऋचा ने वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले ही न्यूजीलैंड के साथ वनडे सीरीज में शानदार प्रदर्शन किया। वह वनडे में सबसे तेज फिफ्टी बनाने वाली भारतीय महिला क्रिकेटर बनी। वहीं, टीम की कप्तान मिताली राज ने भी एक इंटरव्यू में ऋचा और शेफाली वर्मा जैसी युवा खिलाड़ियों पर भरोसा जताया है। मुझे भी उम्मीद है कि ऋचा मौका मिलने पर टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाएगी।