नई दिल्ली। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi), उत्तर प्रदेश के हाथरस के लिए रवाना हुए हैं। राहुल के अचानक हाथरस पहुंचने की खबर से एक बार फिर हाथरस का वह मूलगादी गांव और चंद्रपा थाना चर्चा में आ गया, जहां की 4 साल पहले एक दलित बेटी की मौत ने प्रदेश और देश में सियासी तूफान खड़ा कर दिया था। इससे पहले प्रियंका गांधी के साथ 24 नवंबर को संभल हिंसा में मारे गए पांच लोगों के परिवारों से राहुल गांधी ने मुलाकात की थी।
हाथरस दौरे पर डिप्टी CM का तंज
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की हाथरस दौरे पर तंज कसते हुए कहा, “राहुल गांधी हताश हैं, उन्हें यह भी नहीं पता कि हाथरस मामले की CBI जांच हो चुकी है और मामला कोर्ट में चल रहा है। कभी उन्हें संभल जाना है, कभी अलीगढ़ जाना है। उत्तर प्रदेश इंफ्रास्ट्रक्चर, कानून-व्यवस्था के मामले में सबसे बेहतर राज्य बनने की ओर अग्रसर है। वे यहां अराजकता की आग भड़काना चाहते हैं और लोगों को भड़काना चाहते हैं।”
क्या है हाथरस का मामला?
14 सितंबर 2020 को हाथरस के बूलगढ़ी गांव में 19 साल की एक दलित युवती घायल अवस्था में मिली थी। पीड़िता अपनी मां और भाई के साथ स्थानीय चंदपा थाने पहुंचती है, थाने में पीड़िता के भाई ने आरोप लगाया कि गांव के संदीप ने उसकी बहन के साथ गलत काम किया है। बिगड़ती हालत देख पीड़िता सीएचसी ले जाया गया, जहां से उसे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जेएन मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया।
इस घटना के अगले दिन 15 सितंबर को FIR दर्ज करवाई गई, जिसमें लिखा गया कि पीड़िता अपनी मां के साथ चारा काटने गई थी, तभी गांव के युवक संदीप ने आकर उसे घसीटा और गला दबाकर उसकी हत्या की कोशिश की है। पुलिस ने भी इसे पारिवारिक विवाद बताया और दावा किया कि जल्द आरोपी की गिरफ्तारी की जाएगी। मामला तब तूल पकड़ा, जब घटना के 5 दिन बाद 19 सितंबर को पीड़िता ने बयान दिया कि संदीप के साथ दो अन्य लड़के और थे, उसके साथ छेड़छाड़ भी की गई और जबान काट दी गई।
पीड़िता के बयान के आधार पर पुलिस ने हत्या की कोशिश और छेड़छाड़ की धाराओं को बढ़ाया और मुख्य आरोपी संदीप को गिरफ्तार किया गया। बेहतर इलाज के लिए पीड़िता को अलीगढ़ से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर किया गया, जहां 29 सितंबर को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मामला तब और बिगड़ गया जब पीड़िता का शव गांव पहुंचा और अगले ही दिन तड़के 3 बजे पुलिस की मौजूदगी में घर वालों को दबाव में लेकर अंधेरे में ही अंतिम संस्कार करवा दिया गया।
जांच में सामने आया
पुलिस ने शुरुआती जांच में दावा किया कि मेडिकल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं है और न ही पीड़िता की जीभ काटी गई और न ही उसकी रीढ़ की हड्डी टूटी है। मामला तूल पकड़ने लगा तो SIT गठित कर जांच के आदेश दे दिए गए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2 अक्टूबर को जांच रिपोर्ट के आधार पर हाथरस के एसपी विक्रांत वीर, डिप्टी एसपी और स्थानीय इंस्पेक्टर चंदपा को सस्पेंड कर दिया। अगले ही दिन इस मामले में CBI जांच के आदेश दे दिए गए।
जांच एजेंसी ने अलीगढ़ जेल में बंद चारों आरोपियों का पॉलीग्राफ और ब्रेन मैपिंग करवाया। 67 दिनों की जांच के बाद 18 दिसंबर 2020 को हाथरस के एससी/एसटी कोर्ट में चारों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। CBI ने इस मामले में गैंग रेप और हत्या की धाराओं में चार्जशीट दाखिल की और 35 लोगों की गवाही करवाई।
2 मार्च 2023 को कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद तीनों आरोपियों लवकुश, रामू रामकुमार, रवि उर्फ रविंद्र सिंह को बरी कर दिया। वहीं, एक आरोपी संदीप सिसोदिया को दोषी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई। कोर्ट में सुनवाई के बाद आरोपी संदीप सिसोदिया को गैर इरादान हत्या और एससी/एसटी एक्ट में दोषी माना गया। सुनवाई के बाद चारों आरोपी में किसी पर भी गैंगरेप का आरोप नहीं सिद्ध हुआ।