हिंदू धर्म में कालाष्टमी (Kalashtami) का दिन भगवान शिव के रौद्र रूप भगवान काल भैरव को समर्पित किया गया है। कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव के व्रत और पूजन का विधान है। कालाष्टमी का व्रत हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भगवान काल भैरव का पूजन भी किया जाता है।
हिंदू मान्यता है कि कालाष्टमी (Kalashtami) के दिन भगवान काल भैरव का व्रत और पूजन करने वालों के जीवन के सभी भय और संकट समाप्त हो जाते हैं। दुख दूर हो जाते हैं। इस दिन व्रत और पूजन करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं। इस दिन पूजा के समय भगवान काल भैरव को कुछ विशेष चीजों का भोग लगाना चाहिए। इससे भगवान काल भैरव प्रसन्न होते हैं और जीवन के सभी कष्ट दूर करते हैं।
फरवरी महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 20 तारीख को सुबह 9 बजकर 58 मिनट हो जाएगी। वहीं ये इस तिथि का समापन 21 फरवरी को सुबह 11 बजकर 57 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में 20 फरवरी को कालाष्टमी रहेगी। इसी दिन कालाष्टमी का व्रत और भगवान काल भैरव का पूजा-उपासना की जाएगी।
भगवान काल भैरव को लगाए ये भोग
– कालाष्टमी (Kalashtami) के दिन भगवान काल भैरव को हलवा, खीर, गुलगुले (मीठे पुए) जलेबी, फल आदि का भोग लगाना चाहिए।
– इस दिन भगवान काल भैरव को मदिरा का भी भोग लगाना चाहिए।
– इस दिन भगवान को शुद्ध देशी से बनी चाजों का ही भोग लगाना चाहिए।
– इस दिन भगवान को पान, सुपारी, लौंग, इलायची, मुखवास आदि चीजें भी चढ़ानी चाहिए।
– पूजा के समय भगवान काल भैरव को धूप, दीप और अगरबत्ती दिखानी चाहिए।
– फिर भगवान काल भैरव की आरती करनी चाहिए।
– भगवान काल भैरव से प्रार्थना करनी चाहिए।
– भगवान काल भैरव को भोग लगाने के बाद गरीबों को भोजन अवश्य ही खिलाना चाहिए।
कालाष्टमी (Kalashtami) व्रत का महत्व
हिंदू धर्म में कालाष्टमी (Kalashtami) के दिन और व्रत का बहुत महत्व है। कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव का व्रत और पूजन करने से घर में धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती। साथ ही सभी रोगों से मुक्ति मिल जाती है। घर में सुख-शांति का वातावरण हमेशा बना रहता है। भगवान काल भैरव के आशीर्वाद से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन भगवान काल भैरव का व्रत और पूजन करने वालों को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।