पूर्व ब्लॉक प्रमुख अजीत सिंह हत्याकांड में साजिश रचने के आरोपी पूर्व सांसद धनंजय सिंह के मामले में लखनऊ कमिश्नरेट में अंदरखाने कुछ चल रहा है। धनंजय सिंह पर इनाम बढ़ाने की तैयारी चल रही है. धनंजय पर 50 हजार का इनाम घोषित किया जा सकता है। दबिश के बाद पुलिस अब शांत है।
धनंजय कहां है, इसके बारे में पुलिस अधिकारियों को कुछ पता नहीं है। खास बात यह है कि छोटे मामलों में वारंट बी दाखिल करने में लापरवाही बरतने वाले विवेचकों को निलंबित कर दिया जाता है, जबकि बहुचर्चित घटना में लीपापोती करने वालों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
पुलिस की लापरवाही के चलते धनंजय फतेहगढ़ जेल से रिहा हो गया और पुलिस लकीर पीटती रही। सवाल यह है कि जिस धनंजय पर 25 हजार का इनाम घोषित कर उनकी तलाश की जा रही थी, आखिर क्यों उनके खिलाफ वारंट बी दाखिल नहीं किया गया। क्या इसके पीछे सिर्फ विवेचक की लापरवाही है, या फिर अन्य अधिकारियों की भी जवाबदेही है।
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यही नहीं, गिरफ्तारी वारंट लेने के बावजूद पुलिस ने वारंट बी दाखिल नहीं किया। लेकिन, पुलिस ने जौनपुर और उसके रारी गांव में दबिश का दिखावा जरूर किया। इस विषय में लखनऊ पुलिस कमिश्नर विवेचक की लापरवाही बताते हैं। इसके बाद भी विवेचक पर कोई एक्शन नहीं लिया गया है।
विभूतिखंड पुलिस ने कोर्ट में अजीत सिंह हत्याकांड के आरोपी शूटर राजेश तोमर को रिमांड पर लेने के लिए सोमवार को कोर्ट में अर्जी दी थी। विवेचक की ओर से दी गई अर्जी में कहा गया है कि राजेश के पास से स्कूटी और असलहा बरामद करना है। विवेचक ने आरोपी की पांच दिन की रिमांड मांगी है। इस अर्जी पर मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई होगी।
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छह जनवरी को अजीत सिंह की कठौता चौराहे पर गैंगवार में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अजीत के साथी मोहर की गोली से राजेश भी घायल हुआ था। उसका पूर्व सांसद के कहने पर लखनऊ और सुलतानपुर में इलाज कराया गया था।