भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक त्योहार रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) जल्द ही मनाया जाने वाला है। रक्षाबंधन पर इस बार भद्रा का साया रहेगा, जिसके कारण इसे लेकर काफी असमंजस है कि ये त्योहार किस दिन मनाया जाएगा। साथ ही किन शुभ मुहूर्त में राखी बांधी जाएगी।
रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) पर शुभ मुहूर्त में ही राखी बांधनी चाहिए, वरना अशुभ परिणाम मिलते हैं। श्रावण मास में पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 30 अगस्त को रात में 9 बजकर 2 मिनट के बाद ही मनाया जाएगा। पूर्णिमा के दिन यदि भद्रा काल हो तो उस समय के खत्म होने के बाद ही रक्षा सूत्र बांधें।
रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) पर भद्रा का साया
वर्ष में एक बार मनाए जाने वाले इस त्योहार को शुभ मुहूर्त देखकर ही मनाया जाना चाहिए। इतना ही नहीं कोई भी शुभ कार्य शुभ मुहूर्त में ही किया जाए तो सफल होता है। धर्म शास्त्रों में लिखा है, रक्षाबंधन का कार्य अपराह्न व्यापिनी पूर्णिमा में होना चाहिए और भद्रा का त्याग करना चाहिए।
30 अगस्त को पूर्णिमा वैसे तो प्रातः 10:59 बजे से शुरू होगी और 31 अगस्त को प्रातः 07:06 बजे समाप्त होगी। लेकिन इस बार पूर्णिमा लगने के साथ ही भद्राकाल में बहनों को अपने भाई के हाथ में रक्षा सूत्र नहीं बांधना चाहिए।
शुभ मुहूर्त में बांधें राखी
भद्रा के रहने पर और भद्रा में रक्षाबंधन नहीं किया जाता है। ये तो भद्रा के बाद ही किया जाता है। भले ही उस समय रात्रि ही क्यों न हो। धर्मग्रंथ ये भी कहते हैं कि भद्रा स्वर्ग, पाताल या पृथ्वी कहीं भी हो, रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का पर्व उस समय निषेध है। अन्य कार्यों में भद्रा का वास देखते हुए निर्णय लिया जाता है। रक्षाबंधन का त्योहार 30 अगस्त को रात्रि 09:02 बजे के बाद से 31 अगस्त की सुबह 07:06 तक मनाया जाएगा।