नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की कोर्ट से कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को फंसाने वाले कई अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया जा चुका है. जांच एजेंसी ने कोर्ट से कहा कि पूरे प्रकरण में सभी पहलुओं पर जांच की गई, जिसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गई है.
कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि एफआईआर की प्रति वेबसाइट पर नहीं है. क्योंकि कोर्ट आदेश की बाध्यता है. लेकिन हमने डीके जैन कमेटी की सिफारिशों के मुताबिक कहा था कि एफआईआर दर्ज है तो एक्शन जरूर हो. भले ही रिपोर्ट को सार्वजनिक न किया जाए.
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कोर्ट ने कहा कि इसके मुताबिक आपको वेबसाइट या पोर्टल पर डालकर सार्वजनिक करने में कोई हर्ज नहीं होना चाहिए. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि हमने सीबीआई के एफआईआर की प्रति आरोपी को दे दी है. कोर्ट ने हरी झंडी दिखाते हुए कहा कि सीबीआई अब पूरे प्रकरण की जांच शुरू कर सकती है.
इस केस में एक आरोपी कालीश्वर ने कहा कि सीबीआई रिपोर्ट की प्रति हमें दे. कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट शुरुआती है, उसके आधार पर मुकदमा नहीं चलेगा. मुकदमे के लिए सीबीआई को जांच में क्या मिलता है, उसे आधार बनाया जा सकता है. कोर्ट ने जैन कमेटी की ओर से जांच रिपोर्ट मिलने के बाद जस्टिस डीके जैन कमेटी भंग कर दी है.
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कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि कमेटी के कामकाज और अन्य मामलों में हुए खर्च को वहन करे. कोर्ट ने सही समय पर जांच रिपोर्ट देने पर कमेटी की तारीफ भी की. कोर्ट ने कहा कि अब सीबीआई जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट नहीं करेगा. लिहाजा इस केस की सुनवाई बंद की जाती है.
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को कहा कि वह इस मामले की जांच पूरी कर कानून के मुताबिक कार्रवाई करे. जब एफआईआर दर्ज हो चुकी है, तो अब कानून अपना काम करेगा. यह जांच और कानूनी कार्रवाई, एफआईआर में निकले नतीजों और सबूतों के आधार पर हो, न कि जस्टिस डीके जैन कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर.
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के पास कानून के मुताबिक उपाय मौजूद हैं, जिनका वे प्रयोग कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने सिर्फ डीके जैन कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक न करने का आदेश दिया था. एफआईआर को सार्वजनिक किया जा सकता है. सीबीआई की ओर से कहा गया है कि हम रिपोर्ट को आज वेबसाइट पर अपलोड कर देंगे.
बता दें कि एयरोस्पेस इंजीनियर नंबी नारायणन इसरो के सायरोजेनिक्स डिपार्टमेंट के चीफ थे. नवंबर 1994 में उन पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़े कुछ गोपनीय सूचनाएं विदेशी एजेंटों को सौंप दी. केरल पुलिस ने उन्हें इस मामले में गिरफ्तार कर लिया था. 1998 में सीबीआई जांच में पूरा केस झूठ निकला. उन्होंने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी.
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सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में उन्हें 50 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया था. झूठे अधिकारियों के खिलाफ एक्शन पर विचार करने के लिए पूर्व जज जस्टिस डीके जैन को नियुक्त किया गया था.