स्वास्थ्य डेस्क. कोरोना वायरस की महामारी से इस वक़्त पूरा विश्व झूंझ रहा है. सब को बस जल्द से जल्द इसकी वैक्सीन बनने का इन्तेजार है. पूरे विश्व में इस वक़्त सारे देश इस वायरस की वैक्सीन बनाने में लगे हुए है. काफी देशों ने इस पर ह्यूमन ट्रायल भी शुरू कर दिया है. कुछ इसमें सफल दिखाई दे रहें हैं तो कुछ नाकाम. आइये जानते हैं पूरा हाल…
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WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, इस वक्त पूरे विश्व में 154 वैक्सीन पर क्लीनिकल ट्रायल जारी है. इनमें 44 ऐसी वैक्सीन हैं, जो ह्यूमन ट्रायल तक पहुंच चुकी हैं. ह्यूमन ट्रायल में ही इंसानों पर किसी आदर्श वैक्सीन की प्रभावशीलता और सुरक्षा की जांच की जाती है. हालांकि आधिकारिक रूप से लोगों तक वैक्सीन पहुंचाने के दो और चरण होते हैं.
वैक्सीन की रेस में चीन की तीन कंपनियां इस वक्त सबसे आगे हैं. सिनोवाक (चीन), सिनोफार्म (वुहान) और सिनोफार्म (बीजिंग) तीनों ही कंपनियां वैक्सीन ट्रायल के तीसरे चरण में हैं. इनमें से दो कंपनियों ने तो देश के तमाम कर्मचारियों और हेल्थ केयर वर्कर्स को ये वैक्सीन जुलाई में ही देना शुरू कर दिया था. ध्यान देने वाली बात ये है कि अभी तक इन कंपनियों के वैक्सीन का कोई बड़ा साइड इफेक्ट भी सामने नहीं आया है.
चीनी वैक्सीन के अलावा ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका (ब्रिटेन), मॉडर्ना (अमेरिका,) कैनिसिनो बायोलॉजिकल (चीन), जॉनसन एंड जॉनसन (अमेरिका) और नोवावैक्सन (अमेरिका) द्वारा विकसित वैक्सीन भी क्लीनिकल ट्रायल के तीसरे चरण में हैं.
कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने वाला रूस दुनिया का पहला देश है. ये दावा अभी तक सिर्फ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीन पुतिन और उनके तमाम वरिष्ठ अधिकारी ही करते रहे हैं. अमेरिका, चीन और भारत समेत कई देश रूस के इस दावे पर भरोसा नहीं कर सके हैं. रूस का दावा है कि उसकी Sputnik-v वैक्सीन ट्रायल के सभी स्टेज पर खरी उतरी है और कई लोगों के इम्यून पर वैक्सीन का अच्छा रिस्पॉन्स देखने को मिला है.
ज्हाफी (चीन), इनोवायो फार्मास्यूटिकल कंपनी (अमेरिका), मर्क एंड कंपनी (अमेरिका) सनोफी (फ्रांस) और ग्लैक्सोमिथक्लाइन (ब्रिटिश) के साझा सहयोग से विकसित हो रही वैक्सीन ट्रायल फिलहाल क्लीनिकल ट्रायल के दूसरे चरण में हैं, जिनसे एक अच्छी वैक्सीन बनाने की उम्मीद की जा रही है.
क्लीनिकल ट्रायल का तीसरा चरण पूरा होने के बाद वैक्सीन का इमरजेंसी ऑथोराइजेशन लेना होगा. इस स्टेज पर कोविड-19 के गंभीर रूप से बीमार पड़े मरीजों को आपातकालीन स्थिति में वैक्सीन देने की अनुमति होगी. इसके साइड इफेक्ट या इम्यून पर अच्छे रिस्पॉन्स की पूरी डेटा लिस्ट तैयार किया जाएगा. इसके बाद आखिर में वैक्सीन निर्माता कंपनियों को फाइनल अप्रूवल लेना होगा, जिसके बाद वैक्सीन सामान्य लोगों के लिए उपलब्ध होने लगेगी.