उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत माखी रेप के दोषी पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर के चलते सुर्खियों में रही है। इसी माखी गांव के प्रधानी से कुलदीप सेंगर ने अपना सियासी सफर शुरू किया था। इस सीट पर सेंगर परिवार का ही लंबे समय से कब्जा रहा है और मौजूदा समय में कुलदीप सेंगर के छोटे भाई की पत्नी प्रधान है। हालांकि, इस बार के पंचायत चुनाव में माखी गांव ओबीसी के लिए आरक्षित हो गई है, जिसके चलते माना जा रहा है पहली बार माखी गांव का प्रधान सेंगर परिवार के मनमाफिक नहीं बन पाएगा। वहीं, कुलदीप सेंगर की पत्नी जिस जिला पंचायत सीट से जीतकर अध्यक्ष बनी थी, वह सीट भी इस बार अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई है।
बता दें कि दो साल पहले माखी गांव तब चर्चा में आया था, जब बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के ऊपर दुष्कर्म के आरोप लगे थे। इस मामले में उसे उम्रकैद हो चुकी है और वो तिहाड़ जेल में सजा काट रहे हैं। मूल रूप से फतेहपुर के रहने वाले कुलदीप सेंगर की माखी गांव ननिहाल है। सेंगर ने यहां की ग्राम प्रधानी से अपनी सियासी पारी का आगाज किया था और फिर राजनीति की बुलंदियों पर चढ़ते गए, लेकिन किशोरी से दुष्कर्म करने के मामले में नाम आने के बाद उनकी सारी सियासत बर्बाद हो गई है और अब उनके राजनीतिक वर्चस्व वाली ग्राम पंचायत भी खिसकती दिख रही है।
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कुलदीप सेंगर के नाना बाबू वीरेंद्र सिंह माखी गांव के 36 साल तक प्रधान रहे। वीरेंद्र सिंह के निधन के बाद 1987-88 में कुलदीप सेंगर प्रधान बने। 2000 से 2010 तक कुलदीप सेंगर की मां चुन्नी देवी प्रधान रहीं। मौजूदा समय में कुलदीप के छोटे भाई अतुल सिंह की पत्नी अर्चना सिंह निवर्तमान प्रधान हैं, लेकिन इस बार माखी ग्राम पंचायत पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हुई है।
ग्रामीणों में चर्चा है कि यह पहला मौका होगा जब प्रधान सेंगर परिवार के मनमाफिक नही होगा। इससे पहले दो बार यह सीट आरक्षित हुई है, लेकिन गांव का प्रधान उनके मर्जी के मुताबिक बना था। हालांकि, अब वो पहले की तरह सियासी रूप से ताकतवर नहीं हैं और साथ ही जेल में है। ऐसे में गांव की सियासत को प्रभावित करना बहुत ही मुश्किल है। सीट ओबीसी होने के चलते अब उनके परिवार के बाहर का प्रधान चुना जाना तय है।
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वहीं, 2015 में हुए जिला पंचायत चुनाव में अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज होने के लिए कुलदीप सेंगर ने अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में उतारा गया था, लेकिन इस बार भी सीट खतरे में पड़ गई है। पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर की पत्नी व निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष संगीता सेंगर उन्नाव की मियागंज तृतीय से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतकर जिले के प्रथम नागरिक बनी थी।
इस बार के पंचायत चुनाव में कुलदीप सिंह सेंगर की पत्नी की मियागंज तृतीय जिला पंचायत सदस्य की सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित कर दी गई है, जिसके चलते वो यहां से चुनाव नहीं लड़ पाएंगी। ऐसे में उन्हें भी अपने लिए नई सीट तलाशनी पड़ेगी। फिलहाल कुलदीप सिंह सेंगर की पत्नी सुमेरपुर ब्लाक क्षेत्र के अनारक्षित सीट से चुनाव मैदान में आने की जोरदार चर्चा है। इसके अलावा बांगरमऊ, मियागंज और सरोसी सीट की भी चर्चा है।