मोगा। थाना अजीतवाल में मोबाइल चोरी के शक में दलित बच्चों को निर्वस्त्र कर अमानवीय अत्याचार करने का मामला सामने आया है। गरीब परिवार से संबंधित बच्चे सहमे हुए हैं और गांव के मोहतबरों ने बच्चों को मेडिकल करवाने से रोक दिया।
दूसरी तरफ थाना प्रमुख और एएसआई के पक्ष से भी पुलिस भूमिका शकी दिखाई देती है। एसएसपी ने पीडित मां बाप द्वारा इंसाफ के लिए दी शिकायत की जांच डीएसपी निहाल सिंह वाला को सौंप दी है। यहां पीडि़त जगजीत सिंह ने बताया कि वह मेहनत मजदूरी का काम करता है।
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उनके पड़ोस में किसी का करीब 4 दिन पहले मोबाइल चोरी हो गया था।उनके बच्चों पर शक किया तो वह अपनी पत्नी नवदीप कौर को साथ लेकर अपने बच्चों को थाने में सफाई देने चले गए। वहां एएसआई बलविंदर सिंह ने थाना प्रमुख जसविंदर सिंह की मौजूदगी में अपने कमरे में बंद कर लिया।
वह बाहर खड़े थे तो अंदर से बच्चों 7,9,10 साल की चीखों की आवाज आई तो उसकी पत्नी नवदीप कौर ने दरवाजे को धक्का मारकर खोल दिया तो एएसआई बलविंदर सिंह ने उसकी पत्नी को पीटना शुरू कर दिया। उसकी पत्नी को थाने में दंदल पड़ गई।
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उन्होंने बताया कि जब दरवाजा खोला तो बच्चे अलफ नंगे थे और उनका पेशाब भी बीच में निकल गया। इसके बाद पुलिस बच्चों को जहां से मोबायल चोरी हुआ था वहां भी लेकर गई। उन्होंने बताया कि इस समय दो हवालाती मुलाजिमों ने भी बच्चों पर ढहाए जा रहे कहर पर कहा कि उनको पीट लो पर बच्चों को छोड़ दे पर पुलिस ने बच्चों पर कहर इतना किया कि वह अब पूरी तरह डरे और सहमे हुए हैं। उन्होंने कहा कि वह बच्चों के मेडिकल करवाने जाने लगे तो गांव के दो मोहतबरों ने उनको रोक दिया।