लाइफ़स्टाइल डेस्क। चाणक्य बहुत ही कूटनीतिज्ञ और प्रकांड अर्थशास्त्री थे, उन्होंने अपने ज्ञान और बुद्धिमत्ता के बल पर चंद्रगुप्त को एक शासक के रुप में स्थापित किया और इतिहास की धारा को एक नया रूप प्रदान किया। उन्होंने अपने ज्ञान और अनुभव को अर्थशास्त्र, नीतिशास्त्र जैसी पुस्तकों में पिरोया है। चाणक्य कहते हैं कि सभ्य इंसान वही होता है जिसमें शर्म और लिहाज हो, चाणक्य ने व्यक्ति को सभ्यता के साथ रहने की बातें बताई हैं लेकिन चाणक्य के अनुसार कुछ कार्यों को करते समय व्यक्ति को संकोच नहीं करना चाहिए। नहीं तो व्यक्ति को जीवन में इन बातों को लेकर नुकसान हो सकता है।
धन और व्यापार से संबंधित कार्यों में व्यक्ति को भी संकोच नहीं रखना चाहिए। क्योंकि जो व्यक्ति धन से जुड़े कार्यों में शर्म करता है, उसे अवश्य ही धन हानि उठानी पड़ती है। व्यापार के मामलों में भी व्यक्ति को खुलकर बात करनी चाहिए, नहीं तो व्यापारिक संबंध खराब होते हैं जिससे आपको धन का नुकसान हो सकता है।
चाणक्य कहते हैं कि जिस तरह से भोजन करते समय संयम बरतने की जरुरत होती है। उसी तरह से भोजन करते समय संकोच नहीं करना चाहिए। कभी-कभी कुछ लोग होते हैं जो कहीं पर जाते हैं तो भोजन करते समय संकोच के कारण आधे पेट भोजन करके ही उठ जाते हैं। चाणक्य के अनुसार जब भोजन सही प्रकार से न किया हो तो व्यक्ति अपने तन-मन पर सही से नियंत्रण नहीं कर पाता है। इसलिए हमेशा सही तरह से भोजन करके ही उठना चाहिए।