सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित मानी जाती है। प्रत्येक माह में दो चतुर्थी तिथियां आती हैं। एक चतुर्थी कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 मई को मनाई जाएगी। इस दिन एकदंत संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का पर्व मनाया जाएगा। चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है और उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि बप्पा की पूजा करने से सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। आइए, जानते हैं कि ज्येष्ठ माह में आने वाली एकदंत संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है।
एकदंत संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) तिथि और शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 मई को सुबह 6.06 बजे शुरू होगी और अगले दिन यानी 27 मई को सुबह 4.53 बजे समाप्त होगी। ऐसे में एकदंत संकष्टी चतुर्थी का पर्व 26 मई को मनाया जाएगा।
एकदंत संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) पूजा विधि
– एकदंत संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) के दिन सुबह उठकर बप्पा का ध्यान करके अपने दिन की शुरुआत करें।
– इसके बाद स्नान करें, मंदिर को साफ करें और गंगा जल छिड़ककर पवित्र करें।
– सूर्य देव को जल चढ़ाएं।
– एक चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाएं और भगवान गणेश की मूर्ति विराजित करें।
– इसके बाद बप्पा को लाल चंदन, लाल फूल, दूर्वा, पान, सुपारी आदि चढ़ाएं।
– अब दीपक जलाकर आरती करें। साथ ही गणेश चालीसा का भी पाठ करें।
– मोदक, फल आदि चीजों का भोग लगाएं। प्रसाद को लोगों में बांटें।
– लोगों को श्रद्धा के अनुसार कपड़े, भोजन और धन का दान करें।
भगवान गणेश पूजन मंत्र
त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।
नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।