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आयुर्वेद विभाग में सामने आया बड़ा फर्जीवाड़ा, पूर्व निदेशक सहित 12 शिक्षकों पर आरोप

Writer D by Writer D
05/05/2023
in उत्तर प्रदेश, लखनऊ
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Ayurveda

State Ayurverdic College

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लखनऊ। राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेजों में अब अनुभव प्रमाण पत्र में फर्जीवाड़ा कर नौकरी पाने का मामला सामने आया है। यह आरोप आयुर्वेद विभाग (Ayurveda Department ) के पूर्व निदेशक सहित 12 शिक्षकों पर लगे हैं। इसमें राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज वाराणसी की प्रधानाचार्य प्रो. नीलम गुप्ता को निलंबित कर दिया गया है, जबकि अन्य की जांच शुरू हो गई है। खुलासा होने के बाद निदेशालय से लेकर आयुष विभाग तक में हलचल मची है।

दरअसल, राजकीय आयुर्वेद कॉलेजों (Ayurveda College) में कई प्रोफेसरों एवं अन्य शिक्षकों के अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी होने की शिकायत नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (एनसीआईएसएम) में की गई है। इसमें आरोप लगाया गया है कि पूर्व निदेशक प्रो. एसएन सिंह, राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज वाराणसी की प्रधानाचार्य प्रो. नीलम गुप्ता सहित राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के 12 शिक्षकों ने गलत अनुभव प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी हासिल की है। इसमें पूर्व निदेशक प्रो. एसएन सिंह आयुष कॉलेजों में दाखिले में हुई हेराफेरी मामले में जेल में हैं और नीलम गुप्ता भी निलंबित हो चुकी हैं। उन पर अनुभव प्रमाण पत्र के साथ कई अन्य भी आरोप हैं।

अन्य 10 शिक्षकों के मामले में पत्रावलियां जुटाई जा रही हैं। ये शिक्षक लखनऊ, वाराणसी, पीलीभीत, बरेली सहित अन्य राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेजों से जुड़े बताए जा रहे हैं। इन शिक्षकों पर आरोप है कि उन्होंने लोक सेवा आयोग को गुमराह कर नौकरी हासिल की है। अब इन सभी की नियुक्ति संबंधी पत्रावलियों की जांच शुरू करने की तैयारी है। निदेशालय में संबंधित कॉलेजों से दस्तावेज मंगवाए गए हैं।

ऐसे हुआ फर्जीवाड़ा

एनसीआईएसएम में भेजी गई शिकायत में इन प्रोफेसरों पर अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी लगाने के आरोप है। कई के प्रमाण पत्र कर्नाटक सहित अन्य राज्यों के हैं। प्रोफेसर बनने के लिए कुल आठ वर्ष का अनुभव होना चाहिए। लेकिन इनमें एक प्रोफेसर प्रवक्ता पद पर सिर्फ 10 दिन ही कार्य किए हैं। इनका सीनियर रेजिडेंट से लेकर प्रोफेसर तक का कुल अनुभव सात वर्ष सात माह तीन दिन है। इसी तरह एक प्रोफेसर ने जिस वक्त पीएचडी की। उसी वर्ष को अपने अध्यापक अनुभव प्रमाण पत्र में शामिल करके नौकरी हासिल की है।

फंसेंगे कई पूर्व अधिकारी

मामले की सही जांच हुई तो आयुर्वेद विभाग के कई पूर्व अधिकारियों का फंसना तय है। सूत्रों का कहना है कि नियुक्ति के समय अनुभव प्रमाण पत्रों की प्रति हस्ताक्षरित कराने का कार्य निदेशक आयुर्वेदिक सेवाएं एवं रजिस्ट्रार का होता है। प्रति हस्ताक्षरित करने से पहले इन अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है कि शैक्षणिक अनुभवों की विधिवत जांच कर लें।

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वाराणसी में जांच चल रही है। अन्य मामले की अभी जानकारी में नहीं है। शासन से जिस तरह का निर्देश मिलेगा। उसी हिसाब से आगे की कार्रवाई की जाएगी।

– प्रो पीसी सक्सेना, निदेशक आयुर्वेद

Tags: Ayurveda departmentFraudfrogeryLucknow Newsscam in ayurveda departmentup nwes
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